बस्ती ही नहीं पूर्वांचल के गौरव हैं समाजसेवी अनिल त्रिपाठी,मानवता के सच्ची सेवा की जीती जागती मिसाल है। अनिल त्रिपाठी पिछले पांच वर्षों से लगातार गरीब, मजलूम, और असहाय की मदद करते हुए मानवता की सेवा में लगे हुए हैं ठंढ़ी, गर्मी, बरसात जो भी मौसम हो सुबह 4 बजे अपने खर्च से मरीजों को लेकर लखनऊ के पीजीआई,राम मनोहर लोहिया,किंग जार्ज मेडिकल कॉलेजो जैसे बड़े अस्पतालों में दिखाने तथा जांच-पड़ताल करवाने के लिए निकल जाते है वापस रात 2 बजे के आसपास घर पहुंचते हैं
मनोरमा चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबन्धक
अनिल कुमार त्रिपाठी पिछले पांच वर्षों से लगातार गरीब, मजलूम, और असहाय की मदद करते हुए मानवता की सेवा में लगे हुए हैं। एक महामानव के रूप में सशक्त व्यक्तित्व मनोरमा चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबन्धक अनिल कुमार त्रिपाठी जी के सन्त स्वरूप है जिनके कार्यो की चर्चा बस्ती सहित पूर्वांचल के कयी जिलों के हर चौराहे चाय ,पान की दुकानों पर सुनने को मिल जाता है सुबह 4 बजे से ही उनके दरवाजे खर गरीबों असहायों की भीड़ लग जाती है सबसे बड़ी बात है 5 सालों में आज तक कोई उनके दरवाजे से निराश होकर नही गया है
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के जन्म की साक्षी मनोरमा नदी के तट पर असहाय, मजलूम और गरीबों के बच्चों को पढ़ने के लिए विद्यालय खोलना चाहते है जिससे गांव देहात के गरीब बच्चों को स्वावलंबी बनाने के लिए तकनीकी शिक्षा से जोड़ने हेतु टेक्निकल कॉलेज की स्थापना करना चाहते है। तथा विद्यालय परिसर से सटे ही एक ऐसा आश्रम जिसमें अनाथ बच्चों और विधवा महिलाओं बृद्ध जनों की भी सेवा की जा सके।
अनिल त्रिपाठी बीए, बीएड,तथा टेक्निकल डिग्रियों के साथ हिंदुस्तान एरोनाटिक, टाटा मोटर्स,बिजली विभाग जैसी विभागों में ट्रेनिंग तथा नौकरी से रिजाईन देकर समाज सेवा में आए है,
उनकी पत्नी सुमन त्रिपाठी शिक्षा विभाग में अनुदेशक है अनिल को चाहे जितने बजे मरीज को लेकर लखनऊ जाना हो उनकी टिफिन बना कर दे देती है,
भाई सुनील त्रिपाठी पेशे से ठेकेदार है तथा पिता नोटरी मजिस्ट्रेट है जो लोगों आर्थिक सहयोग करते है
हरैया तहसील क्षेत्र के ठुठवा भदावल निवासी अनिल कला स्नातक हैं। साथ ही उन्होंने फिटर व इलेक्ट्रिकल ट्रेड में आईटीआई करने के साथ ही विशेष B.Ed की योग्यता भी हासिल किया है। हिंदुस्तान एरोनाटिक लिमिटेड तथा टाटा मोटर्स जैसे संस्थानो में से रिजाईन देकर समाज सेवा में आए है अनिल