तुम्हारे आंचल में दुनिया की हर दौलत है -- कवि तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु
तेरे आंचल की खुशबू बस गई है रग-रग में मेरे ! भला तेरे आंचल की क़ीमत मैं चुकता करूं कैसे !! ************************* तेरा आंचल मेरे मन की दवा बन जाएगा ! शर्त है अपना आंचल हवा में लहरा दो तुम !! ************************* तेरा आंचल मुझको दुआ देने के लिए काफ़ी है ! काश अपने आंचल में एक बार छुपा लो…