लोग कहां संभलते हैं बगैर खता खाए !! डर भी जरूरी है इंसान की हिफाज़त को :-तारकेश्वर मिश्रा जिज्ञासु


रोग और शत्रु का भय तो हमेशा रहा ज़माने को ! 
मगर आदमी तन, मन, धन से लड़ा है इनसे !! 
*************************
तुम्हारे शहर में लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकलते ! 
लगता है किसी संक्रमण ने भय ग्रस्त किया है सबको !! 
*************************
लोग कहां संभलते हैं बगैर खता खाए !!
डर भी जरूरी है इंसान की हिफाज़त को !! 
*************************
ज़िंदगी तो चलती रही हमेशा बेखौफ़ अब तक ! 
मगर एक वायरस ने आज भयभीत कर दिया !! 
*************************
भय से भागने वालों का कोई इतिहास नहीं दुनिया में ! 
ज़िंदगी की जंग में प्राण त्याग कर भी अमर हुए लोग !! 
*************************
ज़िंदा रहना है यहाँ तो मुसीबत का सामना करो ! 
संकट काल में भय से बात बनती नहीं है कोई !! 
**************तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर !