विश्व गौरैया दिवस पर डिजिटल तरीके से प्रशिक्षण जागरूकता अभियान


न्यूज़ बस्ती : कोरोना अलर्ट को देखते हुए पुराने चित्र को डिजिटल तरीके (फेसबुक, व्हाट्सएप आदि) से साझा कर बताया गौरैया दिवस की विशेषता : अंकित गुप्ता


"विश्व गौरैया दिवस" पर नानक नगर पचपेड़िया रोड स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कम्प्यूटर एजुकेशन के डायरेक्टर अंकित गुप्ता ने सभी छात्र-छात्राओं को कोरोना वायरस से बचाव के साथ साथ डिजिटल तरीके (फेसबुक, व्हाट्सएप आदि) से  गौरैया दिवस की पुराने चित्र को साझा कर उसके बारे में सोशल मीडिया के माध्यम से लोगो को जागरूक किया। अनेक उपायों से फिर घर में फुदक सकती है नन्ही गौरैया।


नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कम्प्यूटर एजुकेशन के डायरेक्टर अंकित गुप्ता ने पक्षियों का महत्व और उनके संरक्षण की जानकारी डिजिटल जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर कर सभी लोगो को दी। अपने विचार में कहा कि हम बात करते हैं कि गौरैया बचाओ या फिर फलां पक्षी को बचाओ। यह जानना जरूरी है कि आखिर हम क्यों इन्हें बचाना चाहते हैं। गौरैया ईकोसिस्टम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वह नेचुरल फार्मर है जो बीजों को स्थानांतरित करती है और कीट-पंतगों को भी खाती है। गौरैया जंगलों में नहीं, बल्कि इंसानो के बीच ही रहती है। आज कंक्रीट के घरों और कम होती हरियाली में उसके पास घौंसला बनाने तक की जगह नहीं है। इसके लिए हमें प्रयास करने होंगे। गौरैया हमारी प्रकृति और उसकी सहचरी है। एक वक्त था, जब बबूल के पेड़ पर सैकड़ों की संख्या में घोंसले लटके होते और गौरैया के साथ उसके चूजे चीं-चीं-चीं का शोर मचाते, लेकिन वक्त के साथ गौरैया एक कहानी बन गई है। उसकी आमद बेहद कम दिखती है, गौरैया इंसान की सच्ची दोस्त भी है और पर्यावरण संरक्षण में उसकी खास भूमिका भी है। 


दुनियाभर में 20 मार्च गौरैया संरक्षण दिवस के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में समय रहते इन विलुप्त होती प्रजाति पर ध्यान नहीं दिया गया तो वह दिन दूर नहीं जब गिद्धों की तरह गौरैया भी इतिहास बन जाएगी और यह सिर्फ गूगल और किताबों में ही दिखेगी। इसके लिए हमें आने वाली पीढ़ी को बताना होगा की गौरैया या दूसरी विलुप्त होती पक्षियां मानवीय जीवन और पर्यावरण के लिए खास अहमियत रखती हैं।


गौरैया की घटती आबादी के पीछे मानव विकास सबसे अधिक जिम्मेदार है। गौरैया पासेराडेई परिवार की सदस्य है, लेकिन इसे वीवरपिंच परिवार का भी सदस्य माना जाता है। गौरैया को बचाने के लिए अपने घरों के अहाते और पिछवाड़े डेकोरेटिव प्लान्ट्स , विदेशी नस्ल के पौधों के बजाए देशी फ़लदार पौधे लगाकर इन चिड़ियों को आहार और घरौदें बनाने का मौका दे सकते है। साथ ही जहरीले कीटनाशक के इस्तेमाल को रोककर, इन वनस्पतियों पर लगने वाले परजीवी कीड़ो को पनपने का मौका देकर इन चिड़ियों के चूजों के आहार की भी उपलब्धता करवा सकते है, क्यों कि गौरैया जैसे परिन्दों के चूजें कठोर अनाज को नही खा सकते, उन्हे मुलायम कीड़े ही आहार के रूप में आवश्यक होते हैं। इन पेड़ों पर वह आसानी से घोंसला भी बना सकती है , तथा खिड़की या बालकनी में एक मिट्टी के बर्तन मे थोड़ा-सा पानी और प्लेट मे दाना रख दें। जिससे आप सभी के आंगन में गौरैया की चहचहाहट सुनायी दें सके।


 छात्र- छात्राओं ने गौरैया पक्षी के लिए लकड़ी तथा कार्ड बोर्ड की सहायता से विभिन्न घोंसले तैयार की चित्र को ही शेयर किया साथ ही कोरोना अलर्ट जागरुक हेतु विभिन्न जानकारियां भी बताई।


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