त्याग और स्वाभिमान के प्रतीक क्रांतिकारी नायक थे सुभाष – संचालक तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु

 

अंबेडकरनगर ! महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पर अम्बेडकर नगर साहित्य संगम अकबरपुर अम्बेडकर नगर के तत्वावधान में अखिल भारतीय आनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन युवा कवि संजय सवेरा के संयोजन और प्रख्यात मंच संचालक तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु के संचालन में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री उदय नारायण सिंह निर्झर आजमगढ़ और मुख्य अतिथि श्रीमती निशा अतुल्य जी देहरादून रहीं। इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप श्री राम राय झारखंड, श्रीमती वीणा आडवाणी तन्वी नागपुर, श्रीमती सुषमा सिंह औरंगाबाद, श्री अरविंद अकेला जी पटना रहे। सर्वप्रथम वरिष्ठ साहित्यकार अच्छेलाल तिवारी 'राही' के द्वारा मां सरस्वती की वंदना के साथ कार्यक्रम शुरू हुआ। इसके बाद कवियों ने अपनी अपनी रचनाओं से नेताजी के कृतित्व और व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। वाराणसी के वरिष्ठ साहित्यकार ब्रिजेंद्र नारायण शैलेश तथा कानपुर के वरिष्ठ साहित्यकार पंडित विद्या शंकर अवस्थी जी ने धन्य हो गई कटक की धरती जहां हुआ सुभाष का जन्म अपनी सारगर्भित रचना से मुग्ध कर दिया। डॉ करूणा वर्मा पढ़ा चमन से जाने वालों ज़रा तुम लौट कर फिर से आना, डॉ रंजीत वर्मा ने लोकतंत्र का नक्शा पढ़ा, अरविंद अकेला ने पढ़ा डर नहीं जिसे अंग्रेजों का नहीं था जिसे मृत्यु का आभास, औरंगाबाद की कवयित्री सुषमा सिंह ने पढ़ा वन्दे मातरम का उद्धघोष भर रहा था लोगों में जोश, युवा कवि संजय सवेरा ने पढ़ा सब कुछ है बस आदमी नहीं है, संचालन कर रहे तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु ने पढ़ा – हिंदुस्तान की हर हुकूमत तिरंगे पर नाज करती है ! सियासत के रंग में तिरंगा कभी बदरंग नहीं होगा !! अच्छेलाल तिवारी ने भी अपनी बेहतरीन रचनाओं में मुग्ध किया । अंत में अध्यक्षीय रचना पढ़ कर निर्झर जी ने सभी साहित्यकारों का आभार व्यक्त किया।