अमन व मोहब्बत का पैग़ाम देना ही कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का मक़सद – संचालक तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु

 


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शहीद दिवस के उपलक्ष्य पर आयोजित अखिल भारतीय ऑनलाइन कवि सम्मेलन व मुशायरा अंबेडकरनगर साहित्य संगम मंच द्वारा कुशलतापूर्वक सायं 7:00 बजे से आरंभ हुआ। युवा कवि प्रदीप माझी के संयोजन एवं चर्चित कवि तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु के संचालन मे होने वाले कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार महेंद्र नाथ तिवारी अलंकार वाराणसी , मुख्य अतिथि शायर अब्दुल हमीद कानपुरी एवं विशिष्ट अतिथि कवयित्री निधि सिंह सुल्तानपुर रहे। सम्मेलन का शुभारंभ माँ वाणी आराधना से हुआ। समीर तिवारी शांडिल्य बस्ती ने पढ़ा - आ भी जाओ प्रिय छोड़कर व्रज गली ! श्याम आधा है राधा तुम्हारे बिना ! प्रदीप माझी अम्बेडकरनगर ने पढ़ा – एक बार फिर रणयाचना होगा ! किनारे बैठकर क्या सोचना होगा !! शायर हमदम प्रतापगढ़ी ने पढ़ा – अँगुली किसी की ओर तब अपनी उठाइये ! पहले तो अपने आप को काबिल बनाइये !! मनीष भट्ट अयोध्या ने पढ़ा - मेरा दावा है सिया सा मिल जाऊंगा ! अंगूठी देना तो उसमें भी राम लिख देना !! रोमित हिमकर बस्ती ने पढ़ा – देख दशा दुनिया में तेरी महतारी ! कलम भरे आहें दे-देकर सिसकारी !! शैलेश मुसाफिर सुल्तानपुर ने पढ़ा - मिले जीवन में पतझड़ तो उसे मधुमास लिखना है ! है हमसे दूर जो मंजिल उसे ही पास लिखना है !! तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु ने पढ़ा – हमने तेरे शहर का अख़बार देखा ! दिन में लुटते हुए घर परिवार देखा ! क्या यही है तेरे शहर की कैफ़ियत ! जहाँ तहाँ नफ़रत का कारोबार देखा !! महेंद्र नाथ तिवारी अलंकार ने पढ़ा – वतन पे मरने वाला ही वतन को याद आता है ! जो चमकीला सितारा हो गगन को याद आता है !! मुख्य आतिथि हमीद कानपुरी ने पढ़ा – वक्त अपना बचाया करो ! वक्त अपना कहीं भी न जाया करो !! निधि सिंह नेह ने पढ़ा – मोहब्बत में कभी मीरा कभी रसखान लिखती हूँ ! मिले जो सुर साधना के गीतों ग़ज़ल नाम लिखती हूँ !! कार्यक्रम अंबेडकरनगर साहित्य संगम व्हाट्सएप ग्रुप पर आयोजित किया गया ! मशहूर संचालक तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु द्वारा बुलाए जाने पर कवियों ने 2 से 3 मिनट की ऑडियो क्लिप भेजी ! अन्त मे अध्यक्ष महोदय के आशीर्वचन व संचालक द्वारा सभी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम का समापन हुआ !!