बंधन में बँधना मेरी क़ैफ़ियत को गवारा नहीं कभी – कवि तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु


 खुले विचारों के साथ सफ़र करने का आदी हूं यारों !

बंधन में बँधना मेरी क़ैफ़ियत को गवारा नही कभी !!

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बंधन से मुक्त होकर ही इंसानियत का फ़र्ज़ निभा सकते हो !

खुद बंधन में रहकर दूसरों की हिफ़ाज़त नही कर सकते तुम !

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मुझसे पूछते हो अगर हक़ीक़त में सुख क्या है !

मैं कहूँगा बंधन से मुक्त सफ़र करना दुनिया में !!

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बंधन भी ज़रूरी है कहीं – कहीं इस ज़िंदगी के लिए !

ज़िंदगी में रिश्तों का बंधन गृहस्थ की सफल परिभाषा है !!

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बंधन की कोई अहमियत नहीं रखती आज की युवा पीढ़ी !

नतीजा दुनिया के सामने है रिश्ते बिखर रहे हैं बात बात में !!

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बंधन का मूल्य युवाओं को जीवन में समझना होगा !

वरना हर मां बाप को हताशा होगी अपनी संतानों से !!

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मैं कैसे कहूं कि बंधन ज़िंदगी के लिए अभिशाप है !

बंधन में रहकर भी कुछ लोगों ने इतिहास रचा है !!

*************तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश ! संपर्क सूत्र – 9450489518

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