सहज प्रेम की छाँव में बढ़े आपसी प्यार – कवि तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु

 


अंबेडकर नगर के अकबरपुर में अमरौला रोड स्थित विवेकानंद दिव्य शिक्षण संस्थान में नववर्ष का स्वागत कवि गोष्ठी एवं साहित्यकार सम्मान समारोह के साथ आयोजित किया गया ! जनपद सुल्तानपुर के वरिष्ठ साहित्यकार विजय शंकर मिश्र भास्कर की अध्यक्षता एवं मशहूर मंच संचालक तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु के संचालन में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि स्वामी दिव्यानंद जी रहे ! संरक्षक कुंवर कौशलेंद्र प्रताप सिंह के नेतृत्व एवं युवा कवि संजय सवेरा के संयोजन में मुख्य अतिथि द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वलन व माल्यार्पण के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ ! कवि उदय नारायण सिंह निर्झर द्वारा वाणी वंदना प्रस्तुत की गई ! वाणी वंदना के बाद कवियों ने गीत गजल शेर और मुक्तक के साथ कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए ! जहांगीरगंज से आए गीतकार संतोष श्रीकंठ ने पढ़ा - चैन चुरा के मेरा वो मुझे आराम करने को कहती है ! वह लड़की अपने गांव में मुझे एक शाम ठहरने को कहती है !! टांडा से आए कवि डॉक्टर मनीराम वर्मा ने पढ़ा - फूल की तलाश में दुकूल शूल गह गया ! शर्वरी की चाह में विभावरी में रह गया !! बाराबंकी के कवि कौशल सिंह सूर्यवंशी ने पढ़ा - सब जन बजाओ मिल ताली कि आई अब कौशल की बारी ! रसों में करने सराबोर कि आई अब कवियों की बारी !! जौनपुर से आए कवि अच्छेलाल राही ने सवैया छंद पढ़ा - भाव में जहां अभाव रहे भगवान करें नहीं आवे बुढ़उती !! आजमगढ़ से आए उदय नारायण सिंह निर्झर ने पढ़ा - बुन रहे हैं जाल खुद फंसने के लिए लोग ! दलदल में मुद खड़े हैं धंसने के लिए लोग ! लोकहित में शिव ने कभी विषपान किया था ! अब पी रहे हैं निर्झर अपनों को डसने के लिए लोग !! शायरा शूबी हसन ने पढ़ा - मेरी तमन्ना मिले मुझको ऐसा हमराही ! जो मुझको दिल में बसाए तो बात और भी हो ! मुझे बुला के आशियां पे अपने वो रहबर ! और मुझसे मिलने ना आए तो बात और भी हो !! टांडा से आए कवि प्रदीप माझी ने पढ़ा - मिट्टी की जां लेकर नदी की गहर में खड़ा हूं ! तेरी ही बनाई दुनिया में तेरे ही सामने अड़ा हूं !! संचालक तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु ने पढ़ा - सहज प्रेम की छाँव में बढ़े आपसी प्यार ! क्रोध करे हिंसा बढ़े टूटे घर परिवार !! कवि संजय सवेरा ने पढ़ा - वो मुझे खरीदने की चाहत रखते हैं , मगर नादान से हैं ! मेरा पता बता दो उन्हें कोई , हम सिपाही नागार्जुन अदम के खानदान से हैं !! अध्यक्षता कर रहे कवि विजय शंकर मिश्र भास्कर ने पढ़ा - मंगलमय हो विश्व को नया आंग्ल नव वर्ष ! विश्व पटल पर प्रभु कृपा बरसे लेकर हर्ष !! कुंवर कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने अपने संबोधन में कविता और साहित्य को देश व समाज के हित में कारगर बताते हुए प्रेरक पंक्तियां प्रस्तुत की ! अंत में कार्यक्रम के आयोजक एवं संस्था के मुखिया स्वामी दिव्यानंद जी ने कवियों के काव्य पाठ का विश्लेषण करते हुए नव वर्ष की शुभकामनाएं देते हुए कवियों के स्वागत सम्मान के साथ कार्यक्रम का समापन किया !!

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