धनतेरस के त्योहार की ख़ासियत कैसे बताऊं तुमको !
सड़क पर राह नहीं चलने को बाज़ार इस कदर फैला !!
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चाहता हर कोई है कि धनतेरस में तरक्क़ी हो !
मगर तरक्क़ी त्योहार से नहीं कर्म से होती है !!
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धनतेरस का त्योहार खुशियों का संकेत देता है !
शर्त है कि तन मन से धन कमाना सीखो तुम !!
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धनतेरस में यूं तो सारे कारोबारी नगदी की सोचते हैं !
मगर कारोबार नगदी और उधारी दोनों से चलता है !!
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हर तरफ़ बाज़ार में नगद नगद का शोर दिखता है !
जेब ढीली है जिसकी धनतेरस और दिवाली मनाये कैसे !!
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महंगाई की मार से त्रस्त है दुकानदार और ख़रीदार दोनों !
धनतेरस और दिवाली का पर्व हंसी खुशी के साथ बीते तो बड़ी बात समझो !!
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एक बेचारा बाज़ार गया था धनतेरस का शगुन करने !
एक जेबकतरा अपना शगुन कर लिया जेब काट उसकी !!
***********तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !