आओ कुछ देर ठहर जाओ मेरी यादों में तुम – कवि तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु

 


तेरी यादों का सिलसिला कभी रुकता नहीं !

आख़िर मैं अपनी ज़िंदगी सभालूं तो कैसे !!

******************

यादों का गुलदस्ता बना कर रखो मुझे ज़िंदगी में अपने !

मेरा वादा है मैं तुम्हारी हर इक समस्या सुलझा दूंगा !!

******************

तेरी यादों का अनमोल ख़ज़ाना छुपा रखा हूं दिल में अपने !

तुम मुझे अपना मानो या ना मानो यह तुम्हारी मर्ज़ी है !!

******************

हमारे पास तेरी यादों का गुलदस्ता है !

भला मैं क्यों उदास रहूं ज़माने में !!

******************

आओ कुछ देर ठहर जाओ मेरी यादों में तुम !

अपनी मोहब्बत का ताज बनाकर देखूं तो सही !!

******************

अबकी सावन में मेरी यह कोशिश रहेगी !

तुम्हारी यादों के झूले में कुछ देर रहूं मैं !!

******************

मुझे तुम भूल जाओ इतना आसान नहीं !

बड़े हसीन लम्हे गुज़रे हैं साथ तेरे !!

***********तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !