बड़ी कद्र है मेरे ज़ेहन में तुम्हारे शब्दों की !
तुम्हारे शब्द मेरे दिल में घर कर जाते हैं !!
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शब्दों की जादूगरी भला कोई तुमसे सीखे !
तुम्हारे शब्द ज़ख्मों पर मरहम बन जाते हैं !!
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तेरे शब्द विन्यास की जितनी तारीफ़ करूं कम ही है !
तुम्हारी कविता की लोकप्रियता तुम्हारे शब्दों से ही है !!
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तेरे शब्द मेरे हृदय को आहत कर देते हैं इतना !
भला मैं तुम से दुआ की उम्मीद करूँगा कैसे !!
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शब्दों का ताना-बाना बुनना सीख लिया तुमने !
जीना अब आसान हुआ तुमको इस दुनिया में !!
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शब्दों का व्यापार तुम्हारे लिए मुफ़ीद साबित होगा !
शहद से कहीं ज्यादा मीठे हैं एक एक लफ्ज़ तुम्हारे !!
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हमें अपनी ज़िंदगी में क़ामयाबी का परचम लहराना है बेशक !!
क़ामयाबी के लिए शब्दों की पूंजी जमा कर ली है मैंने !!
***********तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !