तुम्हें कोई याद करता है शुक्रिया करो उसका = कवि तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु

 


अब केवल यादें ही रह गई हैं हमारे और तुम्हारे बीच !

अतीत के उन हसीन लम्हों को याद कर मैं मुस्कुराता बहुत हूं !!

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जीवन में अपनी यादों का सफ़र जारी रखो !

अतीत के खूबसूरत लम्हें ज़िंदादिल रखेंगे !!

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उसकी यादों के सहारे ज़िंदगी का सफ़र पूरा हो नहीं सकता !

हक़ीक़त की ज़िंदगी में हर दिन तुम्हें सहारे की ज़रूरत होगी !!

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हम तो आज भी याद करते हैं खोए हुए लोगों को !

बड़ी मोहब्बत मिली है हमको उन तमाम लोगों से !!

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कुछ भी आसान नहीं है मौजूदा दौर में प्यारे !

तुम्हें कोई याद करता है शुक्रिया करो उसका !!

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यादों की बारात भूल जाना ज़िंदगी के नए सफ़र के लिए ज़रूरी है !

किसी की यादों में खोकर ज़िंदगी का सफ़र सुहाना नहीं कर सकते हम !!

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हम तुम्हारी तारीफ़ के क़िस्से कब तक सुनाएंगे दुनिया को !

पुरानी यादों को देर तक संजोए रखना मेरे बस की बात नहीं !!

***********तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकर नगर उत्तर प्रदेश !