सुकून की तलाश में अध्यात्म की शरण क्यों नहीं लेते !
सोचो माया मोह की दुनिया से क्या हासिल हुआ तुमको !!
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मोह के वश में सिर्फ़ नुक़सान ही होगा तय समझो !
गुरु की शरण में जाकर अपना मोह दूर करो तुम !!
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संत महात्मा सदा ही संदेश देते हैं माया मोह से दूर रहने को !
मगर आम आदमी क्या संत महात्मा भी इससे अछूते नहीं !!
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माया मोह की दुनिया में सुख की तलाश करते हैं सभी !
सच तो यह है कि माया मोह की दुनिया में दुख ही दुख है !!
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गृहस्थ तो गृहस्थ संत भी दुखी हैं आजकल !
माया मोह की व्याख्या समझ में आए कैसे !!
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माया मोह का त्याग कर जीवन सुखी कर लो तुम !
माया मोह के चक्कर में बरबाद होना तय समझो !!
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हमें तुम्हारी भौतिकवाद की दुनिया पसंद नही !
हमें तो जंगल में संतों के साथ कुटिया प्यारी है !!
**********तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !