तुम्हारी हवेली में खुशबूदार फूलों का ज़ख़ीरा है -- कवि तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु


 मीठी यादों का ख़ज़ाना सजा कर रखिए दिल में अपने ! 

यही एक सूरत है इस कलियुग में ज़िंदा दिल रहने की !! 

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मीठी यादों का ख़ज़ाना यूं ही नहीं तैयार होता ! 

दिल और दिमाग़ में इंसानियत रखनी पड़ती है !! 

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मीठी यादों के सहारे ज़िंदगी जी लेना आसान है ! 

कड़वाहटें तो कदम-कदम पर मुंह बाए खड़ी हैं !! 

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आओ तुम्हारे साथ चल कर ज़िंदगी का सफ़र आसान कर लें ! 

यूं तो इस उम्र में ज़िंदगी तन्हा बिल्कुल बेकार सी लगती है !! 

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हमारे शहर का हर मजदूर मसीहा समझता है मुझको ! 

इंसानियत भरा काम मेरा मीठी यादों का रूप लिए बैठा है !! 

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चलो मैं तुम्हें एक बार देवता भी मान लेता हूं ! 

मीठी यादों के सफ़र में कोई खलल ना डालो !! 

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तुम्हारी ज़िंदगी इस तरह अनमोल हो जाएगी ! 

मीठी यादों की खुराक हर किसी को देते चलो !! 

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तुम्हारी हवेली में खुशबूदार फूलों का ज़ख़ीरा है ! 

मीठी यादों के सफ़र में मेरे यह हवेली शामिल है !! 

******************तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !

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