मीठी यादों का ख़ज़ाना सजा कर रखिए दिल में अपने !
यही एक सूरत है इस कलियुग में ज़िंदा दिल रहने की !!
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मीठी यादों का ख़ज़ाना यूं ही नहीं तैयार होता !
दिल और दिमाग़ में इंसानियत रखनी पड़ती है !!
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मीठी यादों के सहारे ज़िंदगी जी लेना आसान है !
कड़वाहटें तो कदम-कदम पर मुंह बाए खड़ी हैं !!
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आओ तुम्हारे साथ चल कर ज़िंदगी का सफ़र आसान कर लें !
यूं तो इस उम्र में ज़िंदगी तन्हा बिल्कुल बेकार सी लगती है !!
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हमारे शहर का हर मजदूर मसीहा समझता है मुझको !
इंसानियत भरा काम मेरा मीठी यादों का रूप लिए बैठा है !!
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चलो मैं तुम्हें एक बार देवता भी मान लेता हूं !
मीठी यादों के सफ़र में कोई खलल ना डालो !!
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तुम्हारी ज़िंदगी इस तरह अनमोल हो जाएगी !
मीठी यादों की खुराक हर किसी को देते चलो !!
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तुम्हारी हवेली में खुशबूदार फूलों का ज़ख़ीरा है !
मीठी यादों के सफ़र में मेरे यह हवेली शामिल है !!
******************तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !