बेचैन हो गया है अब हर कोई लॉकडाउन में !
भला कोरोना वायरस का अंत होगा कब तक !!
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बेचैन आशिक़ को तसल्ली मिले कैसे !
दिल तो घायल है किसी के प्यार में !!
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बेचैन ज़िंदगी को सुकून की ज़रूरत है !
कुछ ऐसा करो ज़िंदगी नाज़ करे तुम पर !!
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मैं कैसे कह दूं तुमसे कि बहुत बेचैन हूं मैं !
बेचैन दिल की दवा बहुत महंगी है ज़माने में !!
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हमने तुमसे मोहब्बत का हिसाब क्या मांगा !
तुम बेचैन दिल की कहानी सुनाने लगे हमको !!
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बेचैन होकर भी भला क्या हासिल होगा तुमको !
अच्छा हो ज़िंदगी में लुत्फ़ लेना सीख लो तुम !!
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बेचैन होकर हासिल कुछ भी नहीं होगा तुमको !
हां वैक्सीन लगवा कोरोना को खत्म कर दो तुम !!
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हर वक्त बेचैनी का पहाड़ा मत पढ़ो तुम !
हंसते गाते ज़िंदगी का मजा उठा लो तुम !!
******************तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !