रिश्तों की डोर का सच कोरोना पीड़ित से पूछो -- कवि तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु

 रिश्तों की डोर का मतलब कौन समझाए किसको ! 

कोरोना की आफ़त में सवालिया निशान हैं इस पर !! 

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यूं तो रिश्तों की डोर का ज़िक्र बड़े शौक से करता था ! 

कोरोना के परिदृश्य ने रिश्तों की परिभाषाएं बदल डाली !! 

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रिश्तों की डोर ज़िंदगी की अमूल्य धरोहर हुआ करती थी ! 

कोरोना वायरस ने इस धरोहर को कलंकित कर दिया !! 

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महापुरुषों की वाणी सच दिख रही है इन दिनों ! 

रिश्ते नातों पर बड़ा गुमान था तुमको अब तक !! 

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कोरोना का ख़ौफ़ तुम्हारे मन मस्तिष्क से कब जाएगा ! 

ज़िंदगी जीने के लिए ख़ौफ़ से दूर होना पड़ेगा तुमको !! 

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रिश्तों की डोर पर बड़ी - बड़ी कविताएं पढ़ी होंगी तुमने ! 

कोरोना महामारी ने भी बहुत कुछ बताया दुनिया को !! 

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रिश्तों की डोर का एहतराम तो हम करते रहेंगे मगर ! 

स्वार्थी दुनिया में कोरोना के मंज़र से पीड़ित हैं लोग !! 

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आओ तुम्हें हम नई दुनिया का क़िस्सा बताएं ! 

रिश्तों की डोर का सच कोरोना पीड़ित से पूछो !! 

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भला मैं तुमसे कैसे कहूं कि यह दुनिया अच्छी है ! 

कोरोना वायरस के साथ दुनिया बहुत ख़राब है !! 

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हम तुम्हें महफ़िल का भी लुत्फ़ लेना सिखा देंगे ! 

मगर कोई तरकीब निकालो कोरोना से मुक्ति का !! 

******************तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकर नगर उत्तर प्रदेश !