इतना मलाल क्यों है तुमको मेरी बेवफ़ाई पर -- कवि तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु

 


तुम्हारी झील सी आंखों में डूब जाने की हसरत है मेरी ! 

दुआ करो खुदा से तुम मेरी हसरत कामयाब हो जाए !!

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हसीनों की झील सी आंखों की बेवफाई देखी है मैंने ! 

जान बूझकर पहचानने से इंकार कर देती हैं अक्सर !! 

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तुम चाहो तो मोहब्बत का एक नया अध्याय लिख दूं मैं ! 

तुम्हारी झील सी आंखों में मुझको एक डुबकी लगानी है !! 

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बड़ा नाज़ है तुमको अपनी मोहब्बत पर ! 

उसकी झील सी आंखों का ये करिश्मा है !! 

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नदी के किनारे अपना आशियाना बना कर तो देखो ! 

झील सी आंखों वाली हसीना भी मिल जाएगी तुमको !!

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थक कर चूर हो गए हो दिन भर यहाँ वहाँ दौड़ कर !

आओ इस झील सी आंखों में तनिक विश्राम कर लो !! 

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तुम मुझसे रास्ता पूछते हो मोहब्बत का ! 

उसकी झील सी आंखों को गौर से देखो !! 

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इतना मलाल क्यों है तुमको मेरी बेवफ़ाई पर ! 

मेरी झील सी आंखों में आकर डूब जाओ तुम !! 

******************तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !

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