तुम्हारी झील सी आंखों में डूब जाने की हसरत है मेरी !
दुआ करो खुदा से तुम मेरी हसरत कामयाब हो जाए !!
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हसीनों की झील सी आंखों की बेवफाई देखी है मैंने !
जान बूझकर पहचानने से इंकार कर देती हैं अक्सर !!
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तुम चाहो तो मोहब्बत का एक नया अध्याय लिख दूं मैं !
तुम्हारी झील सी आंखों में मुझको एक डुबकी लगानी है !!
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बड़ा नाज़ है तुमको अपनी मोहब्बत पर !
उसकी झील सी आंखों का ये करिश्मा है !!
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नदी के किनारे अपना आशियाना बना कर तो देखो !
झील सी आंखों वाली हसीना भी मिल जाएगी तुमको !!
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थक कर चूर हो गए हो दिन भर यहाँ वहाँ दौड़ कर !
आओ इस झील सी आंखों में तनिक विश्राम कर लो !!
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तुम मुझसे रास्ता पूछते हो मोहब्बत का !
उसकी झील सी आंखों को गौर से देखो !!
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इतना मलाल क्यों है तुमको मेरी बेवफ़ाई पर !
मेरी झील सी आंखों में आकर डूब जाओ तुम !!
******************तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !