मुझसे मौसम की बेवफाई का ज़िक्र क्यों करते हो !
आंधियों की फ़िक्र करता नहीं मैं घर से निकलने के बाद !!
*************************
चाहते हो अपनी बहादुरी का सबूत देना मुझे तो सुन लो !
आंधी चले और सफ़र में कदम ना रुके यही शर्त है मेरी !!
*************************
तुम्हें खुशी मिले तो मैं किसी हद तक जा सकता हूं !
आंधियों में भी तुम्हारे लिए घर से निकल सकता हूं !!
*************************
तुम चाहो तो अपने लिए कोई सुरक्षित ठिकाना ढूंढो !
रही बात मेरी मैं तो आंधी में भी खुश रहने का आदी हूं !!
*************************
तुम जा रहे हो जंगल में तो शेर बनकर जाओ !
आंधी का ख़ौफ़ रख जंगल में नहीं जाते प्यारे !!
*************************
तेज आंधी के साथ मुसलाधार बारिश नहीं देखी तुमने !
जन्नत का दर्शन करना चाहो तो जुलाई में मेरे गांव आना !!
******************तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !