मेरी सलाह है अपना एक मनमीत बनाओ तुम -- कवि तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु

 


कहाँ मिलता है मनमीत किसी को आसानी से ! 

मनमीत की तलाश में बहुतों की उम्र गुजर गई !! 

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तुम्हारे शहर के लड़कों की अजीब दास्तान है ! 

शायद ही कोई हो पास मनमीत न हो जिसके !! 

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सफ़र की सारी थकान उस वक्त दूर हो जाती है अपनी ! 

पास बैठकर जब कोई मनमीत पूछता है हाल-चाल अपनी !! 

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चाहते हो कि हंसी खुशी ज़िंदगी गुजरे तुम्हारी ! 

मेरी सलाह है अपना एक मनमीत बनाओ तुम !! 

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चलो दुनिया की दौड़ में हम भी शामिल हो जाएं ! 

मेरा मनमीत साथ है भरोसा है मुझको जीत का !! 

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मनमीत का ज़िक्र कर दिया था सफ़र में उससे मैंने ! 

फिर क्या उसने मनमीत का एक क़िस्सा सुनाया मुझको !! 

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हमारे शहर का एक रईस बहुत उदास रहता है ! 

काश कोई उसको भी अपना मनमीत बना लेता !! 

******************तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !

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