मगर पटाखों के शोर में औरों की खुशी का ख़याल रखो -- कवि तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु


दीपावली के दीए घरों की छत पर जगमगा रहे हैं ऐसे ! 


एक नज़र देखो तो आंखों में खुशियां भर जाती हैं !! 


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बेशक हैं दीवाली की खुशियां तुम्हारे दिल में बहुत सारी ! 


मगर पटाखों के शोर में औरों की खुशी का ख़याल रखो !! 


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दीपावली में किसी की रोजी-रोटी में मददगार हो जाना तुम ! 


दुआ ले गरीबों की अपना दामन खुशियों से आबाद कर लेना !! 


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धनवान लोगों की खुशियों का कोई पैमाना नहीं है दुनिया में !


दीवाली में अंधाधुंध पटाखे फोड़ गरीब का मजाक मत उड़ाना !! 


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तुम्हारे शहर की दीवाली में पटाखों की गूंज शामिल है ! 


हमारे गांव में मिट्टी के दीए और और घरों में पूजा की धूम है !! 


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पूरी पकवान मक्खन मलाई खा कर खुद सो गए तो कैसी दीवाली ! 


बांटो मिठाई खुशियों की पड़ोसियों के संग यही असली दीवाली है !! 


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हर किसी के भले में ही अपनी भलाई तय समझो ! 


बात समझ में आ जाए जिस दिन समझो दीवाली है !! 


*****************तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश ! संपर्क सूत्र - 9450489518


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