जीत हमारी मुश्किल लेकिन हार तुम्हारी निश्चित है !
हार-जीत की कोशिश में जंग अभी तक कायम है !!
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मैं तुम्हारी जीत का किस्सा बन जाऊंगा एक दिन !
मगर तुम भरोसा रखो मुझ पर पूरे इत्मीनान से !!
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तुम्हारे जीत की कहानी और भी रोचक हो जाती !
काश तुम्हारा अस्त्र-शस्त्र तैयार होता पहले से !!
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मेरी वीरता का इतिहास यह सारा शहर जानता है !
तुम्हारे शहर की मिट्टी में मेरे खून के छींटे शामिल हैं !!
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ज़िंदगी है तो कभी हार होगी और कभी जीत !
जीत और हार का अंत होना ही मौत का घर है !!
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हमारी कोशिश का नतीजा इस मोड़ पर आ पहुंचा !
जीत के करीब जाकर हार का स्वाद चखा है मैंने !!
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कोई ज़रूरी नहीं जीत कर ही आप मुस्कुराएं !
कभी - कभी हारने के बाद भी मुस्कुराया करो !!
****************** तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !