यूं तो अंधेरों और उजालों से हमारी दोस्ती बहुत गहरी है !
मगर मेरे आँगन में सूरज का उजाला पहुंचता है देर से !!
*************************
तुम्हारे आँगन के कोने कोने में फूलों की महक शामिल है !
दुआ करो ख़ुदा से हर एक आँगन में फूलों की बहारें हों !!
*************************
तुम अपने घर की खूबसूरती को जरा गौर से देखो तो सही !
आँगन में किलकारी करते बच्चे की मुस्कान कितनी प्यारी है !!
*************************
यूं तो ज़िंदगी सिमटती जा रही है शहर के बंद कमरों में !
काश हर घर में आँगन और ताजी हवा को खिड़कियां होती !!
*************************
यूं तो हमने घर के आँगन को सजा रखा है रंगोली और फूलों से !
मगर वह बात कहाँ जो तुम्हारे आने से से घर के आँगन में होती है !!
*************************
यह मत पूछो मुझसे कितना धनवान है मेरे घर का आँगन !
घर के आँगन में मां - बाप , बीवी , बच्चों के साथ अपनी खुशियां हैं !!
*************************
मैं सयाना हो गया हूं तो आँगन की तस्वीर बदल गई !
मेरे बचपन के आँगन में हर शाम चंदा मामा आते थे !!
******************तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !