चाचा नेहरू के जन्म दिवस को बाल दिवस हम कहते हैं !
टॉफी बिस्कुट और लाओ खिलौने अक्सर ही हम कहते हैं !!
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हम बच्चे अपनी ही दुनिया में अक्सर खोए रहते हैं !
कदम-कदम पर मम्मी - पापा की झिड़की भी सहते हैं !!
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टीवी के कार्टून सीरियल हमको बहुत लुभाते हैं !
हम बच्चे दुनिया को मन का गीत सुनाते हैं !!
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सपने में मेरे नदी पहाड़ जब तब आ जाते हैं !
इसी बहाने कहीं-कहीं जाकर सैर कर आते हैं !!
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मम्मी-पापा के सपनों को हम सच कर दिखलाएंगे !
दुनिया की नज़रों में तब हम अच्छे बच्चे कहलाएंगे !!
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बोझ किताबों का यूं तो रहता सवार है सिर पर हरदम !
फिर भी हम मौक़ा पाकर खुद की दुनिया सजाते हैं !!
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मौका ऐसा आएगा बचपन मेरा खो जाएगा !
होकर बड़े हम भी जिम्मेदारी से बंध जाएंगे !!
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बच्चा-बच्चा कहकर मुझको मत बहकाना तुम !
बेहतर है चाचा नेहरु जैसा कोई गीत सुनाना तुम !!
**************तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !