"खूब लिखो खूब पढ़ों " का एक ही मंत्र अपने विविद्यार्थियों को देने वाले मीडिया शिक्षक डॉ. संजय द्विवेदी से मेरी मुलाकात करीब दो वर्ष पूर्व दिल्ली में राष्ट्रीय समाचार पोर्टल के एक कार्यक्रम में हुई थी। वहां पत्रकारिता पर उनके विचार सुनें। उन्होंने जिस बेबाकी से पृष्टभूमि को वर्तमान से जोड़ते हुए अपने सटीक विचारों से पत्रकारिता की दशा,दिशा और संभावनाओं पर विश्लेषण किया वह इस क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए आंखें खोल देने वाला था। उनके विचारों की पूरे समय चर्चा हर एक कि जुबान पर रही।
पत्रकारिता के क्षेत्र में गुरु के रूप में किसी धरोहर से कम नहीं । सादगी, सौम्यता, व्यवहारकुशल, हर समय चेहरे पर नाचती मुस्कान, मधुर स्वभाव, शिक्षक के रूप में व्यावसायिक दक्षता से मालामाल, बात-बात में अपना बनाने की कला जैसे मानवीय गुणों की खान। जिस समय मेरा इन से परिचय हुआ वे भोपाल में माखनलाल पत्रकारिता विश्व विद्यालय में में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभागाध्यक्ष के रूप में सेवारत थे।
हमें गर्व है कि देश के जानेमाने ख्याति प्राप्त मीडिया शिक्षक एवं पत्रकारिता के पुरोधा प्रो. संजय द्विवेदी को हाल ही में अखिल भारतीय जनसंचार संस्थान का महानिदेशक मनोनीत किया गया। उनकी इस नियुक्ति को पत्रकारिता के क्षेत्र में आशा की नई किरण के रुप में देखा गया और देश के सम्पूर्ण पत्रकारिता जगत में चर्चा , खुशी का माहौल और सुखद अहसास की अनुभूति रही। इस से कुछ महिनें पूर्व ही उन्हें माखनलाल चतुवेर्दी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल का प्रभारी कुलपति नियुक्त किया गया है। इससे पहले वे दो बार विश्वविद्यालय के कुलसचिव की जिम्मेदारी का निर्वहन कर चुके हैं।
सरस्वती के उपासक, मीडिया शिक्षण को अपनी पुस्तकों और शोध पत्रों के माध्यम से नई दिशा देने वाले बहुमुखी प्रतिभा के धनी,
संजय के आई .आई .एम .सी . में महानिदेशक बनाये जाने के फैसले की हर तरफ सराहना हो रही है। अखिल भारतीय जनसंचार संस्थान (आई आई एम सी) देश का प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान है जो सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत काम करता है और बेहद कम समय में महानिदेशक के पद पर पहुँचकर संजय ने एक नया मुकाम हासिल किया है।
पत्रकारिता जगत के आसमान में उगते भाष्कर की रश्मियों से पत्रकारिता को गौरव के शिखर पर पहुँचाने में अथक एवं अतुलनीय योगदान करने वाले मीडिया गुरु प्रो. संजय द्विवेदी का जन्म उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। बचपन से लेखन में सक्रिय रहे हैं और अपने आसपास घटित होने वाली घटनाओं पर अपानी पैनी नज़र रखते थे और अपनी लेखनी से प्रकाश में लाते थे। उनके पिता परमात्मानाथ द्विवेदी भी अपने समय के कुशल शिक्षक और लेखक रहे हैं। अनुशासन, सुसंस्कार, शिक्षण और लेखन में एकाग्रता और
अच्छे शिक्षक के गुण उन्हें अपने पिता से विरासत में मिलें हैं। अपने इन्हीं विलक्षण गुणों ने ही संजय को लेखन और पत्रकारिता में अपनी पूंजी को बटोरने में समर्थवान बनाया।
उन्होंने बचपन में ही बालसुमन जैसी कई पत्रिकाओं का संपादन खुद के बूते कर दिखाया। इंटर की पढाई अपने गृह जनपद में पूर्ण करने के बाद स्नातक की पढ़ाई लखनऊ विश्वविद्यालय से पूरी करने के बाद वह भोपाल के माखनलाल चतुवेर्दी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यलय पहुँचते हैं जहाँ उनके पत्रकारिता के सपने को नई उड़ान मिलती है। यहीं रहते हुए सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, बाबूराव विष्णु पराड़कर, माधव राव सप्रे और माखनलाल चतुर्वेदी को पढ़ते -पढ़ते वे उनके लेखन के मुरीद बन गए। भोपाल से पत्रकारिता का प्रशिक्षण लेकर वह दिल्ली, मुंबई, बिलासपुर, रायपुर जा पहुचे और अपनी कलम के जरिये समाज से जुड़े मुद्दों को आवाज देते रहे। वे जहाँ भी जिस संस्थान में गये अपनी छाप छोड़ गये। अपने काम और मेहनत से संस्थान को स्थपित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। छतीससगढ़ में "स्वदेश" और रायपुर में हरिभूमि और दैनिक भास्कर को दी गई उनकी सेवाएं अविस्मरणीय हैं। रायपुर में जी 24 घंटे राज्य के पहले सेटेलाइट समाचार चैनल को भी पहले पायदान पर लाने में बड़ी भूमिका रही। मुंबई में भी अपनी पत्रकारिता की धमक दिखाई और टीवी न्यूज चैनल की इस पारी के बाद उन्होंने अकादमिक दुनिया में कदम रखा।
बिलासपुर में गुरू घासीदास विवि में अतिथि शिक्षक की नई भूमिका में नजर आये। कुशाभाऊ ठाकरे विवि रायपुर में पत्रकारिता विभाग को न केवल अपने प्रयासों से स्थापित किया बल्कि वहां कुछ समय संस्थापक विभागाध्यक्ष के तौर पर भी काम किया। इसके बाद 2009 में वे एशिया के एकमात्र बड़े माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यलय में आते हैं और यहाँ उन्हें जनसंचार विभागाध्यक्ष बनाया जात हैं। वे दस बरस विभागाध्यक्ष के रहने के बाद कार्यवाहक कुलसचिव की भूमिका निर्वाह करते हैं। उसके बाद वे पूर्णकालिक कुलसचिव नियुक्त किये जाते हैं ।
माखनलाल चतुवेर्दी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल में कुलपति के शीर्ष पद पर पहुँचने के बाद भी उनमें जरा सा भी घमंड नहीं आया है। वह अपने गुरूजनों, विद्यार्थियों और सहकर्मियों के साथ आज भी बड़ा आदरभाव रखते हैं और हर किसी से गर्मजोशी के साथ मिलते हैं। संजय एक दशक से भी अधिक समय तक अपने हजारों भाषाई नवयुवक पत्रकारों की भारी फौज तैयार कर चुके हैं। वे शिक्षक के रूप में अपने पत्रकारिता विभाग के विद्यार्थियों को हमेशा सच के साथ खड़े होने के गुर सिखाते हैं। साथ ही अपनी संवेदनाओं से समाज को देखने का नया नजरिया विकसित करने पर जोर देते हैं। वो पत्रकारिता की पढ़ाई को डिग्री लेने का माध्यम भर नहीं, समाज के दुःख दर्द को संबल प्रदान करने वाला बेहतरीन माध्य्म मानते हैं।
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डॉ. प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवं अधिस्वीकृत स्वतंत्र पत्रकार
पूर्व जॉइंट डायरेक्टर,सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग,राजस्थान
1-F-18, आवासन मंडल कॉलोनी, कुन्हाड़ी
कोटा, राजस्थान
53prabhat@gmail. com
मो.9413350242