सहजयोग नेशनल ट्रस्ट, नई दिल्ली द्वारा पूरे भारत में कुण्डलिनी जागरण के माध्यम से आनलाइन ‘‘लाइव आत्मसाक्षात्कार, का आयोजन


 गाॅधी जयन्ती के पावन अवसर पर दिनांक 02 अक्टूबर 2020 को सहजयोग नेशनल ट्रस्ट, नई दिल्ली के तत्ववाधान में सम्पूर्ण भारत में कुण्डलिनी जागरण के माध्यम से आॅनलाइन ‘‘लाइव आत्मसाक्षात्कार’’ की योजना बनाई गयी है, जिसका प्रसारण www.sahajayoga.org.in पर प्रातः 8 बजे से रात्रि 8 बजे तक लगातार 12 घंटे, 12 विभिन्न भाषाओं में पहली बार किया जायेगा। प्रत्येक भाषा के कार्यक्रमों की अवधि 1 घंटा मात्र होगा। इसकी जानकारी सहजयोग, गोरखपुर के प्रचार प्रसार संयोजक राजेश सिंह ने दी है।


 सहजयोग, बिना किसी प्रयास के शुद्व इच्छा करने मात्र से ईश्वर के साथ घटित होने वाला योग है जिसकी प्रणेता परम पूज्य श्री माता जी निर्मला देवी हैं। यह योग पूरी तरह से निःशुल्क एवं सभी धर्म के अनुयायियों के लिए लाभकारी है। परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी, जो स्वयं एक स्वतंत्रता सेनानी रहीं, उनके महात्मा गांधी और श्री लाल बहादुर शास्त्री जी के साथ गहरे आध्यात्मिक संबंध थे। इसके अतिरिक्त श्री माता जी एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु भी है, जिन्होंने सम्पूर्ण मानव जाति को आत्म साक्षात्कार और कुंडलिनी जागरण का ज्ञान प्रदान किया है।


 


 आज प्रत्येक मनुष्य का जीवन अशान्त, शरीर विकारयुक्त तथा हृदय कलुषित हो गया है। वह विभिन्न प्रकार के असाध्य रोगों से ग्रसित है फलस्वरूप मानव जीवन के सुख का आनन्द उसे नहीं मिल पा रहा है। सहजयोग के नियमित अभ्यास एवं देवी कृपा से चित्त शान्त, असाध्य रोगों से मुक्ति एवं जीवन में दिव्य परिवर्तन आ जाता है फलतः मनुष्य का आर्थिक, पारिवारिक तथा सामाजिक जीवन सुखमय एवं आनन्दमय हो जाता है। कुण्डलिनी शक्ति सभी प्रकार के मानसिक एवं भावनात्मक समस्याओं का भी निवारण करती है। यह भय, डिप्रेशन, आत्मबल की कमी तथा मानसिक अशान्ति से छुटकारा दिलाती है। चैतन्य लहरियों एवं चैतन्यित जल के नियमित उपयोग से फसलों के उत्पादन कई गुना बढ़ जाते है तथा दुधारू पशुओं के दुग्ध उत्पादन में भी वृद्वि हो जाती है। विद्यार्थियों के लिए यह विशेष उपयोगी है। कुण्डलिनी शक्ति की जागृति एवं नियमित ध्यान-धारणा से विद्यार्थियों में स्मरण शक्ति, ग्रहण शक्ति एवं चित्त की एकाग्रता बढ़ती है तथा पठन-पाठन सुचारू हो जाता है।


 अतः अनुरोध है कि इस अलौकिक एवं अदभूत कार्यक्रम का प्रचार प्रसार अपने समाचार पत्र के माध्यम से अवश्य करायें ताकि इस संक्रमण काल में व्यथित मानव इस होने वाले कार्यक्रम का लाभ उठायें तथा अपने जीवन को आनन्दमय बनायें।