<no title>स्वार्थ की कसौटी पर ही रिश्तों का एहतराम है -- कवि तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु


कद्र कहाँ कोई करता है आजकल रिश्तों की !


तमाम रिश्ते घूम रहे हैं पहचान का संकट लिए !! 


*************************


रवैया ऐसा हो गया आदमी का अपने स्वार्थ में ! 


आदमी ही आदमी का खून पीने को आतुर है !! 


*************************


सामाजिक रिश्तों का अब तो कोई चलन ही नहीं ! 


औलादें मां बाप की नहीं तो फिर और किसकी !! 


*************************


स्वार्थ की की कसौटी पर ही रिश्तों का एहतराम है ! 


ज़रूरत आने पर लोग गैर को भी रिश्तेदार बताते हैं !!


*************************


वक्त के साथ कुछ आदमी खिलवाड़ करते हैं रिश्तों से ! 


मेरी थाली में खाना खाकर भी आज पहचानता नहीं मुझको !! 


*************************


तेरे पास लुटाने को दौलत है अगर तो फ़िक्र मत कर ! 


कहने सुनने को तेरे पास रिश्तों की बड़ी श्रृंखला होगी !! 


*************************


करूं गुणगान मैं किसका उतारूं आरती मैं किसकी ! 


आज का आदमी भी रंग बदलता है बहुत जल्दी से !! 


**************तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !


Popular posts
विद्या वाचस्पति मानद उपाधि से विभूषित हुए—कवि तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु
Image
बस्ती राजपरिवार के कार्यक्रम में मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ नाथ हुए शामिल, दी शुभकामनाएं और आशीर्वाद
Image
विश्व रिकॉर्ड में सम्मिलित हुए कवि व मंच संचालक– डॉ० तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु
Image
तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु दुनिया के सबसे बड़े वर्चुअल कवि सम्मेलन के लिए आमंत्रित
Image
आईएएस रानी नागर इस्तीफे देकर घर जा रही थी, रास्ते में गाड़ी खराब होने पर सरकारी मदद नहीं मिली,फेसबुक फ्रेंड ने की मदद
Image