दिल्ली आयकर विभाग की ज्वाइंट कमिश्नर अमन प्रीत ने जी बी रोड की महिलाओ की सुधि लिया,सेनेटरी पैड का किया वितरण


दिल्ली की बदनाम गलियों में एक गली का नाम जीबी रोड है। आम इंसान इसके बारे में बात तक नहीं करना चाहता या जब कभी बातचीत में इस जगह का नाम आ भी जाएं तो अपना मुंह फर लेता है। लेकिन वो ये नहीं जानता की यहां रहने वाली महिलाओं की क्या मजबूरी रही होगी जिसकी वजह से उन्हें इस बदनाम गली का हिस्सा होना पड़ा। दिल्ली के रेड लाईट एरिया में शुमार जीबी रोड में हजारों की तादाद में देह व्यापार करने वाली महिलाएं रहती हैं, लेकिन कोरोना काल के चलते यहां मायूसी पसरी रहती है। माचिस के डिब्बे जैसे अपने छोटे से कमरे की खिड़की में से इशारे करके अपने ग्राहक को बुलाने वाली ये महिलाएं आजकल खिड़की में टकटकी लगाए किसी सहारे के इंतज़ार में रहती हैं, लेकिन मानो जैसे इनकी कोई सुनने वाला नहीं। ऐसे में पैड वूमन की ख्याति प्राप्त कर चुकी दिल्ली आयकर विभाग की ज्वाइंट कमिश्नर अमन प्रीत को इन महिलाओं की दुर्दशा का ख्याल आता है और बस वो निकल पड़ती है इनकी सहायता के लिए। अबतक देश के 17 राज्यों में 10 लाख से ज्यादा महिलाओं को सैनिटरी पैड्स का वितरण कर चुकी अमन प्रीत स्वतंत्रता दिवस के मौके पर रुख करती है दिल्ली के रेड लाईट एरिया जीबी रोड का। ज्वाइंट कमिश्नर अमन प्रीत के अनुसार आजादी का एकमात्र मूल्य है संघर्ष। और जबतक वो देश की सभी महिलाओं को महावारी के कारण होने वाली बीमारियों से आजादी नहीं दिला देती तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा। अमन प्रीत के अनुसार आजादी का मतलब सिर्फ शारीरिक आज़ादी नहीं बल्कि मानसिक आज़ादी होना भी होता है। एक इंसान आज़ाद तब होता है जब वो शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से किसी भी बंधन में ना बंधा हो। आज जब देश अपना 74 वां आजादी दिवस मना रहा है तब भी देश के ऐसे कई कोने बाकी है जहां पूर्ण रूप से महिलाओं को जाने अंजाने में आज़ादी के असली मतलब से दूर रखा हुआ है। इसकी एक अहम वजह ज्ञान का अभाव और जागरूकता की कमी है। आज भी कई औरतें अपने मासिक धर्म के बारे में अपने घर में कोई बात नहीं कर सकती। यहां तक कि जागरूकता की कमी के कारण आज भी बहुत सी महिलाएं मासिक धर्म के दौरान सैनिटरी पैड्स की जगह कपड़े का इस्तेमाल करती हैं, जिसके चलते उन्हें कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इस बंधन के कारण अमन प्रीत का मानना है कि आज भी बहुत सी महिलाएं आज़ाद नहीं है और इसलिए वो उन महिलाओं को आज़ाद करने के लिए संघर्ष कर रही है। भारत के स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में उन्होंने जीबी रोड पर रह रही महिलाओं को महावारी के बारे में जागरूक किया और साथ ही उन्होंने वहां निशुल्क सैनिटरी पैड्स और राशन का वितरण किया। उनके इस अभियान में समाज सेविका प्रियल भारद्वाज की संस्था संगिनी सहेली ने सैनिटरी पैड्स मुहैया करवाए तो वहीं चरणजीत धीमान की एनीथिंग विल डू संस्था ने राशन मुहैया करवाया। सही मायने में देखा जाए तो आज़ादी का इससे बेहतर मतलब नज़र नहीं आता। जब आप किसी की सहायता करते हैं तब आप आज़ाद है, जब आप किसी को जागरूक करते हैं तब आप आज़ाद है। आज़ादी का मतलब सिर्फ पतंग उड़ाना या जोशीले नारे लगाना नहीं, बल्कि आज़ादी का असली मतलब वो है जब आपके अंदर समाज को सुधारने का जोश हो, समाज के उत्थान का जोश हो और जब आप समाज के एक एक शक्स को शारीरिक और मानसिक रूप से आज़ादी दिला सके हकीक़त में असली आज़ादी वहीं है। सैनिटरी पैड्स और राशन वितरण के इस कैंप में ज्वाइंट कमिश्नर अमन प्रीत ने सेंट्रल दिल्ली के डीसीपी का धन्यवाद किया जिनके प्रयास से ये कैंप सफल हो पाया। इस मौके पर अमन प्रीत, प्रियल भारद्वाज, समाजसेवक दीक्षित पासी, चरणजीत धीमान, संगिनी सहेली की टीम के साथ साथ एनीथिंग विल डू की भी टीम मौजूद रहीं। अमन प्रीत ने कैंप को सफल बनाने के लिए दोनों संस्थाओं की टीमों का धन्यवाद किया।


कपिल गौड़ (दिल्ली)


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