तुम्हारे दिल में बसने वाला ख़्याल ही सावन का असली रंग है -- कवि तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु


सावन के रंग कितने हैं बताना आसान नहीं है इतना ! 


तुम्हारे दिल में बसने वाला ख़्याल ही सावन का असली रंग है !! 


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सावन के फूल खिलते ही लोगों को लुभाने लगते हैं ! 


देखो तो बड़ा नायाब रंग है इन सावन के फूलों का !! 


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सावन की घटाएं अक्सर सवाल करने लगती हैं मुझसे ! 


कुछ का उत्तर तो आसान होता है मगर कुछ का गूढ़ लगता है !! 


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सावन की रिमझिम में मेरा मन मयूर हो जाता है ! 


मन को कैसे समझाऊं ? मन कहता है मेरी मर्जी !! 


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सावन की तमाम खुशबुओं में मेरे दिल के एहसास शामिल हैं ! 


मगर हर खुशबू तन्हा अपनी किस्मत पर नाज़ करती है !! 


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सावन की बारिश में खुलकर नहाने का मजा तो देखिए ! 


हर एक बूंद में खुशबू का रंग निखरता है तन की खुशबू पाकर !! 


************* तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !


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