समाजसेवा के लिए बाधा नहीं है उम्र का पहिया,7 वर्षीय प्रिशा सिंह छोटी सी उम्र में ही समाजसेवा का जीता जागता उदाहरण बनी


गुरुग्राम: कहते हैं कि समाज सेवा करने के लिए उम्र की नहीं मन में ज़िंदादिली के हौसले की जरुरत होती है। 7 साल की उम्र में आप और हम समाज सेवा का मतलब भी नहीं समझते थे, लेकिन 7 वर्षीय प्रिशा सिंह अपनी इस छोटी सी उम्र में समाजसेवा का जीता जागता उदाहरण है। प्रिशा को ना सिर्फ ये पता है कि समाजसेवा क्या होती है, बल्कि वो एक समाजसेविका का जीवन भी जी रही है। पूत के पालने में ही दिखने लगते हैं, प्रिशा की माता की बात करे तो पेशे से वो आयकर विभाग दिल्ली में ज्वाइंट कमिश्नर के पद पर कार्यरत है, लेकिन आज समाज में वो पैड वूमन के नाम से विख्यात है। तो भला उनके बच्चे में समाजसेवा का गुण होना लाजमी है क्योंकि बच्चे अपने आसपास हो रहे कार्यों को ही देखकर सीख लेते हैं और जिंदगीभर उनका पालन करते हैं। नोएडा के लोटस वैली स्कूल में पढ़ने वाली 7 वर्षीय प्रिशा सिंह ने इस बार अपने जन्मदिन को भी एक अनूठे अंदाज में मनाया। जहां आजकल के बच्चे अपने जन्मदिन पर केक काटते हैं, नए नए वस्त्र खरीदते हैं, खिलौनों के लिए ज़िद करते हैं, वहीं प्रिशा ने झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों और औरतों में मिठाई के साथ खाने का सामान, कोरोना से लडने के लिए मास्क और सैनिटाइजर बाटें तो वहीं उनकी मां अमनप्रीत ने भी अपनी कार्यशैली के अनुरूप महिलाओं में महावारी के दौरान प्रयोग होने वाले सैनिटरी पैड्स का वितरण किया। इससे एक बात तो साफ है, की जैसे मां वैसे बेटी। वहीं ज्वाइंट कमिश्नर अमनप्रीत ने संगिनी सहेली संस्था के माध्यम से देशभर की महिलाओं को निशुल्क सैनिटरी पैड्स मुहैया कराने का प्रण लिया है। उनका मानना है कि मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को सिर्फ साफ सुथरे सैनिटरी पैड्स ही इस्तेमाल में लाने चाहिए ताकि उन्हें किसी दूसरे रोग का सामना ना करना पड़े। वहीं छत्तीसगढ़ की इशिका ने भी संगिनी सहेली के माध्यम से वहां की आदिवासी महिलाओं में सैनिटरी पैड्स के साथ साथ खाने का सामान, मास्क और फलदाई पौधे वितरित किए। दूसरी तरफ चंडीगढ़ की रिची ने भी समाजसेवा का ऐसा प्रण लिया कि उन्होंने भी अपने जन्मदिन के अवसर पर महिलाओं में सैनिटरी पैड्स का वितरण कर, महिलाओं को जागरूक किया।