पैर फिसलने से महिला नदी में गिरी, 45 KM तक धारा में बहती रही, 22 घंटे बाद बची जिंदा


गोरखपुर। गोरखपुर के झंगहा में चौंका देने वाली घटना हुई। यहां एक महिला बुधवार की सुबह उफनाई गोर्रा नदी में गिर पड़ी थी। पति ने उसे ढूंढा, लेकिन नहीं मिल पाई। करीब 22 घंटे बाद वह देवरिया जिले के रुद्रपुर में पिड़िया घाट पर जिंदा मिली। आखिर कैसे उसकी जान बची, यह वजह जानकार कई लोगों ने दांतों तले उंगली दबा ली।


डूबने से बची महिला का नाम है- नगीना देवी। वह झंगहा क्षेत्र के राजधानी गांव निवासी राजबली की पत्नी है। नगीना ने बताया कि, बुधवार की सुबह शौच के लिए नदी किनारे गई थी। वहीं, गोड़िया घाट पर पैर फिसलने से वह नदी में गिर पड़ी। नदी का बहाव उसे बहा ले गया। नगीना तैरना नहीं जानती थी, फिर भी न जाने कैसे वह डूब न सकी।


नगीना देवी का कहना है कि, ''जब मैं गिरी तो चिल्लाई भी थी, लेकिन आसपास कोई नहीं था, तो कोई मदद नहीं मिल सकी। फिर जब तक शरीर में ताकत थी, तब तक पानी में हाथ-पैर मारे। उसके बाद कुछ ही देर में तेज लहरों के आगे मैं पस्त हो गई। कई बार मुंह में पानी चला गया तो लगा कि अब जान नहीं बचेगी। लेकिन पानी जाने के कुछ ही देर बाद उल्टी हो जाने से राहत मिल जाती। अंतत: मैंने अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया था। खुद को बहाव के हवाले कर दिया था।''


''नदी की धारा में बहते हुए मैं ज्यादातर समय बेसुध रही। उसके बाद गुरुवार तड़के करीब 45 किलोमीटर दूर पीड़िया घाट पर किनारे से जा लगी। मैं वहां बेसुध पड़ी थी। तभी एक औरत ने मुझे देखा। होश में आने पर पता चला कि, वो औरत पचलड़ी की रहने वाली अतरवासी देवी थी। अतरवासी देवी ने मुझे पहचान लिया था, क्योंकि उसका मायका राजधानी गांव में है। अतरवासी देवी ने ही फिर अपने गांव के प्रधान देवी प्रसाद को बताया। उसके बाद ग्राम प्रधान ने मुझे मेरे घर सुरक्षित पहुंचाया।''


नगीना के पति राजबली को देखकर बहुत खुश हुए। उनकी आंखें छलक आईं। राजबली ने कहा जि, जिस दिन नगीना नदी में गिरी थी, तो हम गोड़िया घाट पर दिनभर तलाशते रहे। फिर नाउम्मीद होकर घर लौट आए थे।'


नगीना ने देवदूत बनकर पहुंची अतरवासी को बहुत धन्यवाद दिया। क्योंकि, गोर्रा नदी में बह रही नगीना देवी के लिए अतरवासी ही देवदूत साबित हुई। अतरवासी ने नगीना को नदी के किनारे पानी में ही बेसुध पड़ी देखा था।