क्या विकास दुबे का खत्मा कराने की साजिश उसके ही खजांची जय वाजपेयी ने माल हड़पने के लिए की थी,एक साल मे दोनो के बीच 75 करोड़ का लेनदेन

 



लखनऊ। उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि पिछले 20 दिनों से कानपुर के गैंगेस्टर विकास दुबे के कारनामे और उसके एनकाउंटर की घटना सुर्खियों में है। अब धीरे-धीरे यह बात उभरकर सामने आ रही है कि विकास दुबे का खत्मा कराने की साजिश उसके ही खजांची जय वाजपेयी ने की थी। जय वाजपेयी का प्रभाव इतना था कि उसे उत्तर प्रदेश की विधानसभा में प्रवेश के लिए वीआईपी पास जारी किया गया था।



उसके फार्च्युनर गाडी पर विधायक के नाम जारी होने वाला पास लगा रहता था जिसे विधानसभा सचिवालय से जारी किया गया था। अब यह मामला सुर्खियों में आया तो विधानसभा सचिवालय से जय वाजपेयी को जारी किये गये वीआईपी पास की फाइल गायब कर दी गयी। निश्चित रुप से यह कार्य तभी संभव हो सका होगा जब जय वाजपेयी को किसी प्रभावशाली अधिकारी का संरक्षण रहा होगा।वही पर कानपुर पुलिस ने दावा किया कि जय की गाड़ी पर चस्पा पास फर्जी है 



छिपे तौर पर यह संरक्षण उत्तर प्रदेश के प्रभावशाली अधिकारी का होना बताया जा रहा है। रिटायर्ड आईएएस सूर्य प्रताप सिंह अवनीश अवस्थी और जय वाजपेयी के संबंधों को लेकर कई बार आवाज उठा चुके हैं। यह भी बात सामने आ रही है कि जय वाजपेयी विकास दुबे की काली कमाई को हजम करना चाह रहा था।



इसलिए उसने पुलिस के शीर्ष अधिकारियों से मिलकर विकास दुबे का एनकाउंटर कराने की योजना बनायी थी। 2/3 जुलाई 2020 की रात पुलिस अफसरों के दबाव में ही पुलिस टीम ने आनन-फानन में विकास दुबे के यहां दबिश दी थी जिसमें विकास दुबे और उसके साथियों ने पुलिस टीम को घेरकर हमला बोला था और डीएसपी देवेन्द्र मिश्र समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। इसके आठ दिन बाद पुलिस ने विकास दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया था। विकास दुबे के साथ ही उसके पांच और साथियों का पुलिस अब तक एनकाउंटर कर चुकी है।


FIR दर्ज होने के 35 मिनट बाद दबिश


कानपुर नगर के विकरू गांव निवासी गैंगेस्टर विकास दुबे के विरुद्ध राहुल तिवारी की तहरीर पर 2 जुलाई 2020 की रात 11.52 बजे एफआईआर दर्ज की गयी। इसी रात 12.27 बजे पुलिस की टीम विकरू गांव में विकास दुबे के घर दबिश देने पहुंच गयी। यानि एफआईआर दर्ज होने के महज 35 मिनट बाद ही पुलिस ने दबिश डालने जैसी कार्रवाई कर दी और आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गये। यानि सबकुछ प्री-प्लान जैसा नजर आ रहा है। यह किसके इशारे पर किस मकसद से किया गया यह जांच का विषय है।


जय और विकास के बीच हुआ था 75 करोड़ का लेनदेन


एसटीएफ और पुलिस की संयुक्त जांच में यह बात सामने आयी है कि जय वाजपेयी और विकास दुबे के बीच एक साल के भीतर 75 करोड़ रुपये का लेनदेन छह बैंकों के एकाउंटर नंबर से की गयी थी। बताते हैं कि विकास दुबे की काली कमाई को जय वाजपेयी ही आईपीएल और सट्टों में लगाता था और उसका हिस्सा विकास दुबे को देता था। इतनी बड़ी रकम को वापस न करना पड़े इसके लिए जय वाजपेयी ने विकास दुबे के ही खात्मे का प्लान बना डाला और पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर घटना को अंजाम दे डाला।


जय वाजपेयी पुलिस की गिरफ्त में, होगा पूरा खुलासा


पुलिस के शीर्ष अधिकारियों के मुताबिक जय वाजपेयी के मामले की जांच ईडी द्वारा की जा रही है। जय वाजपेयी पुलिस की गिरफ्त में है। विकास दुबे और जय वाजपेयी के संबंधों के साथ ही जय की संपत्तियों और उसके अफसरों से मिलीभगत मामले पर भी नजर रखी जा रही है और पूरे मामले का जल्द खुलासा किया