कोरोना काल : बदलता साहित्यिक परिदृश्य' विषय पर हुए ऑनलाइन अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में देश-विदेश के रचनाकारों ने भाग लिया |


'प्रज्ञालय संस्थान द्वारा समय-समय पर साहित्य के क्षेत्र में नवाचार किए जाते रहे हैं, इसी कड़ी में संस्थान द्वारा एक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन ऑनलाइन विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया गया |


      कार्यक्रम प्रभारी शायर कहानीकार क़ासिम बीकानेरी ने बताया कि 'कोरोना काल : बदलता साहित्यिक परिदृश्य' विषय पर हुए इस संवाद कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ आलोचक डॉ. उमाकांत गुप्त ने कहा कि इस संकट के समय में हम सब निर्बाध रूप से लेखन कार्य कर रहे हैं | अध्ययन की तरफ रुचि बढ़ी है साथ ही सकारात्मकता का संचार हुआ है और संप्रेषणियता का विस्तार हुआ है | परस्पर संवाद के माध्यम से सभी रचनाकार अपनी रचना को धार दे रहे हैं | कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उदयपुर के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. कुंदन माली ने कहा कि साहित्य देखने की नहीं बल्कि पढ़ने एवं समझने की चीज है | इस काल में हम सब अपने परिवेश से कट गए | कोरोना काल में साहित्यिक तात्कालिक दबाव से लिखा गया लेखन से मूल्यवता प्रभावित रहती है | इस संक्रमण काल की अच्छी बात यह है कि हम अपने घरों में रहकर भी परस्पर एक दूसरे से रचनात्मक संवाद कर पा रहे हैं | विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ कवि कथाकार कमल रंगा ने सेमिनार में अपनी बात रखते हुए कहा के इस चुनौती भरे समय में ई पाठक और ई श्रोताओं को जोड़ने की भी चुनौती है | आपने इस कालखण्ड के समाजशास्त्रीय,आर्थिक, तकनीकी एवं व्यवहारिक बदलाव के साथ साथ साहित्यिक बदलाव के बारे में कहा कि इससे वेदना एवं संवेदना को आगे ले जाने का संवेदनात्मक स्वर मुखर हुआ है | इस दौर में मजदूरों का दर्द लेखन का केंद्र बिंदु बना | कार्यक्रम में विषय प्रवर्तन करते हुए शायर कहानीकार क़ासिम बीकानेरी ने कहा कि कोरोना काल में तकनीक ने पूरे विश्व को एक ग्लोबल विलेज बना दिया | इस काल में रचनाकारों को सार्थक मंच मिल रहे हैं, पठन-पाठन की तरफ रुचि फिर से जागृत हुई है | नवसृजन को प्रोत्साहन मिला है साथ ही ऑनलाइन कार्यक्रमों में लाइव प्रस्तुति का एक नया ट्रेंड चल पड़ा है |



     कार्यक्रम में देश-विदेश के अनेक रचनाकारों ने दिए गए विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए | जिनमें रूस के इलिया ओस्टोपेनको ने कहा कि यह दौर साहित्यकारों को उत्थान की तरफ ले जाने में कामयाब रहा | मलेशिया से डॉ. गुरिंदर गिल ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के बावजूद साहित्यिक सृजन में कमी होने की बजाय बढ़ोतरी हुई है | महेंद्रनगर नेपाल से कवयित्री सरिता पंथी ने कहा कि कोरोना काल ने लेखन में विभिन्न विषयों को नया आयाम दिया है वही अंतरजाल ने साहित्य विस्तार के नए-नए मार्ग खोल दिये हैं | मेरठ उत्तर प्रदेश की शायरा डॉ. यासमीन मूमल ने कहा कि परिस्थितियां रचनाकार को प्रभावित करती है तत्कालिक परिस्थितियां समाज का दर्पण हैै | टोहाना हरियाणा के वरिष्ठ साहित्यकार विनोद सिल्ला ने कहा कि इस काल में होने वाले मेडिकल साइंस के विभिन्न शोध भी साहित्य का हिस्सा है | इस दौर में हम पुस्तक संस्कृति की तरह फिर से लौटे हैं | मध्य प्रदेश के युवा शायर दिलशेर 'दिल' ने कहा कि कोरोना काल में प्रिंट मीडिया और मंचों के प्रोग्राम बंद हो गए प्रकाशन के क्षेत्र में भी आजकल ई पत्रिकाएं छप रही है | दतिया के फिल्म लेखक एवं निर्देशक डॉ आलोक सोनी ने कहा कि कोरोना काल साहित्य एवं कला के क्षेत्र में काम करने वालों के लिए अपने घर पर रहते हुए अपनी प्रतिभाओं को प्रदर्शित करने का एक सुनहरा अवसर बन कर आया है | गुवाहाटी आसाम के कवि मनोज चाण्डक 'नायाब' ने कहा कि कोरोना काल साहित्यकारों के साहित्य सृजन के लिए एक वरदान बनकर आया है | गुवाहाटी आसाम की कवयित्री हेमलता गोलछा ने कहा कि इस दौर में सोशल मीडिया का सदुपयोग और साहित्य का सही उपयोग हुआ है | नागौर के साहित्यकार पवन पहाड़िया ने कहा कि इस कालखंड में साहित्यकारों ने अपनी रचनाधर्मिता से सकारात्मकता का संचार किया है | फलोदी के वरिष्ठ कवि श्री गोपाल व्यास ने कहा कि कोरोना काल से पूर्व जनभागीदारी के साथ होने वाले कार्यक्रम अब बिना जनभागीदारी के हो रहे हैं | जोधपुर के कवि दीपक परिहार ने कहा कि टेक्नोलॉजी ने साहित्यिक गोष्ठीयां फिर से शुरू कर दी है | जोधपुर की कवयित्री तारा प्रजापत प्रीत ने कहा कि संकट का काल रचनात्मकता को नई ऊर्जा से भर रहा है रचनात्मकता को नए नए आयाम मिल रहे हैं लेकिन इसके दूरगामी परिणाम ख़तरनाक होंगे | उदयपुर से कवयित्री हेमलता दाधीच ने कहा कि कोरोना काल में लेखन में क्रांति आई है | दर्दमयी एंव ममतामयी रचनाओं का सृजन अधिक होने लगा है | प्रोफेसर मलय पानेरी ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा की इस कालखंड के बाद रचनात्मकता के मायने बदल जाएंगे | रचनात्मकता को लेकर हम आशान्वित हैं मगर वैश्विक रूप से विधाओं में परिवर्तन हो गया है | संस्कृति कर्मी डॉ. फ़ारूक़ चौहान ने इसके सकारात्मक एवं नकारात्मक परिणाम बताएं | जोधपुर के साहित्यकार वाजिद हसन काज़ी, प्रज्ञालय के शिक्षाविद राजेश रंगा, इंजीनीयर आशीष रंगा एंव संस्कृति कर्मी शिव शंकर भादाणी सहित अनेक वक्ताओं ने दिए गए विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करके कार्यक्रम में सहभागिता निभाई |


     कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत भाषण कवि कथाकार कमल रंगा ने दिया | अंत में सभी का आभार दिलशेर दिल ने ज्ञापित किया | कार्यक्रम का तकनीकी संयोजन क़ासिम बीकानेरी ने किया