हेपेटाइटिस एक जानलेवा बीमारी है, जिसके प्रति जागरूकता की काफी कमी है -रंजीत श्रीवास्तव 


बस्तीः स्वास्थ्य जागरूकता एवं समाजसेवा के क्षेत्र में सराहनीय कार्य कर रही सामाजिक संस्था ह्यून सेफ लाइफ फाउण्डेशन की ओर से विश्व हैपेटाइटिस डे पर लोगों को सोशल मीडिया के जरिये जागरूक किया गया। हेपेटाइटिस लिवर से जुड़ी एक स्वास्थ्य समस्या है, जिसमें लिवर की कोशिकाओं में सूजन आ जाने से वो क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। हेपेटाइटिस का मामूली संक्रमण अपने आप ठीक हो जाता है। 


अगर इसके लक्षण छह महीने से अधिक दिखाई दें, तो वह एक्यूट हेपेटाइटिस की श्रेणी में आता है। क्रॉनिक हेपेटाइटिस के लक्षण लंबे समय तक रह सकते हैं। हेपेटाइटिस वायरस वैज्ञानिकों ने हेपेटाइटिस के लिए जिम्मेदार पांच वायरसों की खोज की है। इन्हें ए, बी, सी, डी और ई नाम दिया गया। विश्व हेपेटाइटिस दिवस साल 2010 से मनाया जा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा चिह्नित किए गए आठ वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मई 2010 में एक प्रस्ताव पारित कर यह दिवस मनाने की घोषणा की थी. इससे पहले क्रोनिक वायरल हैपेटाइटिस के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए विश्व हेपेटाइटिस एलायंस ने साल 2008 में अभियान चलाया था।


राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं रेडक्रास ट्रेनर रंजीत श्रीवास्तव ने कहा 28 जुलाई प्रोफेसर बारूक ब्लमबर्ग का जन्मदिन है, उन्होंने हेपेटाइटिस बी वायरस की खोज की थी. उन्हें इस खोज के लिए साल 1976 में चिकित्सा में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। हेपेटाइटिस एक जानलेवा बीमारी है, जिसके प्रति जागरूकता की काफी कमी है। विश्वभर में हेपेटाइटिस के बढ़ते मामलों को देखते हुए हर वर्ष 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाने का निर्णय लिया गया, ताकि जागरूकता फैलाई जा सके। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार, हेपेटाइटिस के कारण होने वाली मृत्यु के मामलों में 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सोशल मीडिया पर चले जागरूकता कार्यक्रम में जिलाध्यक्ष एलके पाण्डेय, अपूर्व शुक्ला, सिम्मी भाटिया, ईना लखवानी, रीता पाण्डेय, नीलम सिंह, नीलम मिश्रा आदि का योगदान रहा।