गांधी परिवार से जुड़े तीन ट्रस्टों में वित्तीय लेनदेन में गड़बड़ी की होगी जांच,14 करोड़ कतर से,15 करोड़ चीन से,अंतराष्ट्रीय दलाल जार्ज सोरेस से,भगोड़े मेहुल चौकसी से लिया था दान


गांधी परिवार से जुड़े तीन ट्रस्टों में वित्तीय लेनदेन में गड़बड़ी की जांच की जाएगी। गृह मंत्रालय ने जांच में समन्वय के लिए एक अंतरमंत्रालयी समिति का गठन किया है। मंत्रालय के प्रवक्ता ने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी। सरकार का कहना है कि राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट के खिलाफ आयकर और विदेशी चंदे के नियमों के कथित उल्लंघन की जांच की जाएगी। यह जांच गांधी परिवार से जुड़े ट्रस्टों के प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), इनकम टैक्स एक्ट और फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट के नियमों के उल्लंघन पर फोकस होगी।


ED के स्पेशल डायरेक्टर होंगे चीफ


गृह मंत्रालय के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय (ED) के स्पेशल डायरेक्टर इस समिति के प्रमुख होंगे। पिछले महीने बीजेपी ने आरोप लगाया था कि मनमोहन सिंह सरकार ने प्रधानमंत्री नेशनल रिलीफ फंड (पीएनएनआरएफ) से राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसे दिए थे। बीजेपी के अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा था कि पीएनएनआरएफ जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए बनाया गया था लेकिन यूपीए सरकार के कार्यकाल में इससे राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसे दिए जा रहे थे। पीएनएनआरएफ बोर्ड में कौन बैठा था। सोनिया गांधी जो आरजीएफ की चेयरमैन हैं।


बीजेपी के आरोप


कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी राजीव गांधी फाउंडेशन की अध्यक्ष हैं। इसके बोर्ड में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, पी चिदंबरम और मनमोहन सिंह शामिल हैं। बीजेपी ने साथ ही आरोप लगाया था कि मनमोहन सिंह ने 1991 के बजट भाषण में राजीव गांधी फाउंडेशन को 100 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। कांग्रेस ने इन आरोपों का खंडन किया है। उसका कहना है कि चीन से साथ सीमा पर जारी संकट से ध्यान भटकाने के लिए सरकार इस तरह के आरोप लगा रही है।



राजीव गाँधी फाउंडेशन समेत 3 ट्रस्टों की फंडिंग को लेकर उपजे विवाद पर केंद्रीय गृह मंत्रालय सख्त है और अंतर-मंत्रालय जाँच बिठा दी गई है, जिससे गाँधी परिवार की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। ख़ुद गृह मंत्रालय के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर के इस बात की सूचना दी गई है। ये कमिटी फाउंडेशन द्वारा ली गई फंडिंग और नियमों के उल्लंघन को लेकर जाँच करेगी। प्रवर्तन निदेशालय (ED) के डायरेक्टर इस कमिटी की अध्यक्षता करेंगे।


बता दें कि राजीव गाँधी फाउंडेशन को चीन से फंडिंग मिलने का खुलासा होने के बाद हंगामा शुरू हो गया था। इस फाउंडेशन के शीर्ष अधिकारियों में कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राहुल गाँधी के नाम शामिल हैं।आपको बताते है कि कैसे राजीव गाँधी फाउंडेशन और चीन के बीच इस तरह का संदेहपूर्ण संबंध 2018-2019 तक जारी रहा।


भारती फाउंडेशन द्वारा गृह मंत्रालय को प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों से यह भी पता चलता है कि इसे कतर फाउंडेशन एंडोमेंट से वित्त वर्ष 2018-19 में लगभग 14 करोड़ रुपया मिले थे, बता दें कि कतर फाउंडेशन एक प्राइवेट चैरिटी संस्थान है, जो पूर्व अमीर शेख हमद बिन खलीफा अल थानी और उनकी पत्नी शेखा मोझा बिंत नासिर द्वारा स्थापित किया गया था। कॉन्ग्रेस का यहूदी अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस के साथ भी काफी नजदीकी संबंध रहा है।


फाउंडेशन को पंजाब नेशनल बैंक में हज़ारों करोड़ रुपए के घोटाले के अभियुक्त मेहुल चोकसी से भी दान मिला था। उसने 2014-15 में सोनिया गाँधी के नेतृत्व वाले इस फाउंडेशन में अघोषित दान किया था। दान नवराज एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड (Naviraj Estates Private Limited) के नाम से किया गया था और मेहुल चोकसी इस कंपनी के निदेशकों में से एक है। इसके बाद से ही भाजपा इन आरोपों को लेकर हमलावर है।