भला अपने परिवेश का चित्र मैं तुमको दिखाऊं कैसे !
घर से बाहर क़दम रखते ही प्रदूषण से सामना होता है !!
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अपने आंगन में लगाया है हमने एक तुलसी का पौधा !
हमें मालूम है तुलसी के पत्ते में भी नुस्खा है ज़िंदगी का !!
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जिनके कारखानों से शहर में प्रदूषण का इज़ाफा हुआ है !
प्रदूषण के निवारण का दावा कर रहे हैं चिल्ला चिल्ला कर वो !!
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बनावटी दुनिया में ऐशो आराम व श्रृंगार के साधन जुटाकर !
मुमकिन है तुम्हें कभी सुख शांति का एहसास हो दिल से !!
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भौतिकवाद का नशा इस कदर हावी है हमारे मुल्क में !
हवा पानी भी प्रदूषित हो गया हमारी नाजायज़ शौक में !!
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हमारे दोस्तों में बहस छिड़ी रहती है हमेशा इस बात की !
अपने घर के आंगन को हवादार महकदार बनाएं कैसे !!
************* तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !