बड़ी पहुच वाले मरीजो को होटल में रखने से व्यापारियों में रोष


बस्ती।होटलो के बजाय नर्सिग होम में कोरोना मरोजो को रखने की मांग ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया।वर्तमान समय मे बड़े रसूख व पदों वाले धनवानों को कोरोना काल मे जिला लग्जरी सुविधा देने के लिये शहर के कई होटलो को अपने अधीन कर रखा है जहां पर एक कोरोना मरीज से 10 दिनों तक कोलेन्टाइन रहने के लिये 15हजार रुपये लिया जाता है जिसमे 13हजार में रहना और खाना का है जबकि 2हजार चिकित्सा शुल्क लिया जाता है।इतना खर्च होने पर भी लोगो को सुविधाएं तो मिल जाते हैं लेकिन उपचार नही हो पाता है गुरुवार को होटल बल बालाजी प्रकाश में भर्ती कोरोना पॉजिटिव मरीज गोपाल चौरसिया पुत्र राम धीरज चौरसिया ग्राम-सगरा, रुधौली की हालत बिगड़ी के बाद से होटल मालिक और कर्मचारी भयभीत है।और कोरोना मरीज के चिल्लाने व खराब हालात से डरे होटल कर्मचारी काम छोड़कर भागे।होटल में कोरोना पॉजिटिव नगरपालिका अध्यक्ष रूपम मिश्रा, ठीकेदार सन्तोष शुक्ला, अंजनी पाठक व एसबीआई बनकटी के ब्रांच मैनेजर योगेश कुमार को रखा गया है।इस खबर के आते ही शहर के कई होटलो के कर्मचारी होटल छोड़ फरार हो गए। सवाल यह कि जिले आयुष्मान भारत से सम्बन्ध रखने वाले सुविधाओं से पूर्ण हॉस्पिटल कृष्ण मिशन ,नव युग मेडिकल सेंटर,वी पी नर्सिग होम सहित तमाम हॉस्पिटलों को छोड़ होटल में रखने की क्या जरूरत है 



होटल के मालिक विवेक गिरोत्रा ने कहा कि कोरोना पॉज़िटिव मरीजों को प्राइवेट सुविधा में रखने के लिए होटल की अपेक्षा प्राइवेट नर्सिंग होम व प्राइवेट हॉस्पिटल ज्यादा बेहतर विकल्प है, जहां पर डॉक्टर से लेकर नर्सिंग स्टाफ की समुचित व्यवस्था होती है न कि होटल या गेस्ट हाउस, जहां पर हलवाई और वेटर के सिवाय कुछ भी नहीं है।