अभिभावकों और प्रबंधकों में जंग में विधायक दयाराम चौधरी और संजय प्रताप जायसवाल आमने सामने, अन्य दलों के नेता अभिभावको के साथ


 


 बस्ती । लाकडाउन अवधि की फीस को लेकर निजी विद्वालयों एवं अभिभावको के बीच जंग तेज हो गयी है वैशविक महामारी कोरोना संकट के दौरान लगातार आर्थिक संकट की मार झेल रहे अभिभावक जहां बन्द वि़द्धाालयो की फीस जमा करने से कतरा रहे है वही विद्धालयो के प्रबन्धको ने फीस वसूली के लिए सत्ता पक्ष के सदर विधायक और प्रशासन को साथ लेकर अभिभावको पर दबाव बढ़ा दिया है सदर विधायक एवं प्रशासन के इस रूख को देख समाजवादी पार्टी कम्यिूनिस्ट पार्टी एवं कांग्रेस के अलावा सत्तारूढ़ दल के रूघौली विधायक भी अभिभावको के पक्ष में खुलकर सामने आ गये है इतना ही नही कई सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं संगठनो ने भी अभिभावको की पैरवी तेज कर दी है । समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष महेन्द्र नाथ यादव ने तो फीसमाफी के लिए ना केवल जिलाधिकारी को दो बार ज्ञापन सौपा बल्कि ऐलान किया कि यदि निजी विद्धालयो द्वारा जरा भी शोषण किया जाता है तो सपा जनआन्दोलन कर आरपार के संघर्ष को विवश होगी ।


 बताते चले कि लाकडाउन अवधि के साथ से ही लगातार बन्द चल रहे निजी विद्यालयों में फीस को लेकर मामला उस समय गर्म हुआ जब महज आनलाइन शिक्षा के लिए चल रहे विद्यालयों के प्रबंधकों ने अभिभवाको से अप्रैल माह से फीस की मांग शुरू कर दी । अभिभावको ने इसका विरोध किया और मांग किया कि लाकडाउन अवधि में बन्द विद्यालयों एवं परिवहन की फीस माफ की जाय किन्तु इनकी मांगे विद्यालयों ने अपने आर्थिक हालातो एवं खर्चो का हवाला देते हुए अनसुनी कर दी इस मामले में नया मोड़ उस समय आया जब सी0बी0एस0 ई0 प्रबन्ध एशोसियेशन के बैनर तले लामबद्ध प्रबन्धको ने सदर विधायक दयाराम चैधरी की अगुवायी में जिलधिकारी आशुतोष निरंजन से मिलकर एक ज्ञापन के जरियें अपने आर्थिक संकटों का रोना रोते हुए उनसें फीस वसूली के लिए अभिभावको पर दबाव बनानें का आग्रह किया मजेदार बात यह है इस ज्ञापन के तत्काल बाद ही प्रशासनिक पहल पर जिला विद्याालय निरीक्षक वृजभूषण मौर्या ने एक बयान जारी कर अभिभावको से अपील किया कि सरकार ने निजी विद्याालयों के किसी भी तरह के शुल्क को माफ नही किया है श्री मौर्य ने अप्रत्यक्ष रूप से विद्यालयों के प्रबन्धको के फीस वसूली अभियान को बल दे दिया । सत्तारूढ सदर विघायक एवं प्रशासन के इस रूख को देख अभिभावक भौचक रह गये किन्तु सपा वामपंथी एवं कांग्रेसी दलों से जुड़े तमाम सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर इसकी कड़ी आलोचना शुरू कर दी इनके पक्ष में तमाम गैर राजनैतिक संगठनों के लोग भी उतर गये और अभिभावको की इस पीड़ा को अपने अपने ढ़ग से ब्यक्त करते हुए फीस माफी की मांग तेज कर दी मार्कवादी क्मयुनिस्ट पार्टी के जिला सचिव का0 के0के तिवारी तो इतने हमलावर हो गये कि उन्होने जिलाविद्धालय निरिक्षक सहित जिला प्रशासन से इन विद्याालयों के बैलेन्स सीट की फोरेन्सिक आडिट कराने एवं अध्यापन का कार्य कर रहे शिक्षको की वेतन पर्ची को सार्वजनिक करने की मांग कर डाली ।


यहा यह भी बता दे कि अभिभावको की इस पीड़ा को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा के रूधौली विघायक संजय प्रताप जयसवाल ने तो विगत एक माह पूर्व ही प्रदेश के मुख्यमंत्री से फीस माफी की मांग की थी जो अभी तक लम्बित है श्री जयसवाल का कहना है कि जनहित के मुदृदे पर वह अभिभवको के साथ खड़े है उनका यह भी कहना है कि निजी विद्याालयों में अध्यापन का कार्य कर रहे शिक्षको को भी वेतन दिया जाना चाहिए उनका भी शोषण नही होना चाहिए वही



 कांग्रेस के जिलाअध्यक्ष अंकूर वर्मा कहते हे कि जब विद्याालय बन्द है तो अभिभावको से परिवहन शुल्क, बिजली शुल्क, क्रीड़ा शुल्क, विकास शुल्क कम्प्यूटर शुल्क प्रवेश शुल्क आदि नही लिया जाना चाहिए क्योकि बन्द विद्याालयों में ऐसे शुल्क की वसूली का कोई औचित्य नही है



 इसके अलावा समाजवादी पार्टी के जिलाअध्यक्ष महेन्द्र नाथ यादव तो अभिभावको की इस मांग पर दो टूक कहते है कि बन्द विद्यालयो की शुल्क वसूली कोई मतलब ही नही है वह लगाता 2 बार जिलाधिकारी को इस मुदृदे पर ज्ञापन सौप चुके है यदि इसके बाद भी अभिभावको का किसी तरह की शोषण की शिकायत सामने आती है तो सपा आरपार का संघर्ष करने के लिए विवश होगी इस बीच पूर्वान्चल हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभय देव शुक्ल भी अभिभावको के पक्ष में जिलाधिकारी के जरिये सरकार को अपनी भावनाओं से अवगत करा चुके है इसके अलावा मेधा के राष्ट्रीय प्रवक्ता दीनदयाल तिवारी भी अभिभावको के पक्ष में जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौप कर सरकार को अपनी भावनाओं से अवगत कराने की तैयारी में लगे है ।


 उधर इन विद्याालयों के प्रबंधको की सुने तो उनका कहना है कि वह सरकार के निर्देशानुसार लगातार आनलाइन शिक्षा की ब्यवस्था कर रहे है ऐसे में अभिभावको द्वारा फीस ना दिये जाने से प्रबन्धन की आर्थिक स्थितियां खराब होती जा रही है और शिक्षकों तथा कर्मचारियों को वेतन देने में बड़ी दिक्कते खड़ी हो गयी है ।


बरहाल निजी विद्याालयों के प्रबन्धको के साथ खड़े सदर विधायक दयाराम चैाधरी की भूमिका पर लगातार सवाल उठ रहे है साथ ही प्रशासन का रूख भी संदेह खड़ा कर रहा है अब देखना यह है कि फीस को लेकर छिड़े इस जंग में बाजी किसके हाथ लगती है ।