यूं तो बहुत से लोग देखा करते हैं ख़्वाब मगर !
मर्द वही हैं जो ख़्वाबों को हक़ीक़त में बदल दें !!
************************
कौन कहता है कि ख़्वाब देखना अच्छा नहीं !
ख़्वाबों से ही तो दुनिया में तरक्की है इतनी !!
*************************
सारे गिले शिकवे भूल जाऊंगा मैं शर्त है लेकिन !
तुम ख़्वाब में ही सही मगर मिला करो हमसे !!
*************************
हमें तो ज़िंदगी की दुश्वारियों का ठीक से अंदाज़ा है !
कुंवारी कन्या के ख़्वाब में बसने वाला शहजादा तो नहीं मैं !!
*************************
यह तो सच है कि कोई ख़्वाब देखता हूं मैं हर दिन !
ज़रूरी तो नहीं कि हर ख़्वाब मेरा हक़ीक़त में बदले !!
*************************
तुम्हें तो लगता है कि मैं मामूली ख़्वाब देख रहा हूं !
मेरी आंखों में पले ख़्वाब की कीमत तुझे क्या मालूम !!
************* तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !