तुम हो कि ख़ामोशी में भी ज़िंदगी गुजार लेते हो -- कवि तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु


ख़ामोशी से जीने की आदत तुम्हें बदलनी पड़ेगी ! 


वरना तय है ज़माना संकट में डाल देगा तुमको !! 


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मेरी ख़ामोशी का मतलब यदि तुम समझ गए होते ! 


तुम्हारी ज़िंदगी के के पन्ने इतने कोरे कभी नहीं होते !! 


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हमें औरों के साथ संवाद करने की आदत पड़ी है ! 


तुम हो कि ख़ामोशी में भी ज़िंदगी गुजार लेते हो !! 


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आओ आज तुम्हें जंगल की एक कहानी सुनाते हैं ! 


शर्त है हमारी कि सुनने के बाद ख़ामोशी तोड़ दोगे !! 


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यह मत समझना तुम कि ख़ामोशी मेरी बेकार हो जाएगी ! 


मेरी ख़ामोशी भी तुम्हें जीने का रास्ता बताती रहेगी !! 


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यूं तो बहुत सी जगह देखी हमने घूम कर दुनिया में !


मगर सब कुछ देखने के बाद ख़ामोशी अच्छी लगी !!


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एक बच्चे की ख़ामोशी ने बेचैन कर दिया मुझको ! 


मुझे मेरे बचपन की भूली तस्वीरें याद आने लगी !! 


************* तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तरप्रदेश !


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