प्रजातंत्र की स्थापना, दलितों को शिक्षा से जोड़ने में छत्रपति साहू महाराज का विशेष योगदान- डा. वी.के. वर्मा 


बस्ती । प्रजातंत्र की मूल भावना की स्थापना के लिये आजीवन संघर्ष करने वाले छत्रपति साहू जी महाराज को उनकी जयन्ती पर याद किया गया। सरदार पटेल स्मारक संस्थान की ओर से शुक्रवार को सादगी और शारीरिक दूरी बनाते हुये लोगों ने संस्थान के छत्रपति साहू जी महाराज सभागार में उनकी प्रतिमा पर मार्ल्यापण कर योगदान पर विमर्श किया गया।


संस्थान के महासचिव एवं अखिल भारतीय कूर्मिय क्षत्रिय महासभा जिलाध्यक्ष डा. वी.के. वर्मा


ने कहा कि छत्रपति साहू महाराज ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने राजा होते हुए भी दलित और शोषित वर्ग के कष्ट को समझा और सदा उनसे निकटता बनाए रखी। उन्होंने दलित वर्ग के बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करने की प्रक्रिया शुरू की थी। गरीब छात्रों के छात्रावास स्थापित किये और बाहरी छात्रों को शरण प्रदान करने के आदेश दिए। साहू महाराज के शासन के दौरान ‘बाल विवाह’ पर ईमानदारी से प्रतिबंधित लगाया गया। उन्होंने अंतरजातीय विवाह और विधवा पुनर्विवाह के पक्ष में समर्थन की आवाज उठाई थी। इन गतिविधियों के लिए महाराज साहू को कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। साहू महाराज ज्योतिबा फुले से प्रभावित थे और लंबे समय तक ‘सत्य शोधक समाज’, फुले द्वारा गठित संस्था के संरक्षण भी रहे। ऐसे महापुरूषों से प्रेरणा लेने की जरूरत है। 


  संक्षिप्त कार्यक्रम में आर.के. सिंह पटेल, प्रेमचन्द्र चौधरी पोरस, वृजेश चौधरी ने कहा कि छत्रपति साहू महाराज ने दलित और पिछड़ी जाति के लोगों के लिए विद्यालय खोले और छात्रावास बनवाए। इससे उनमें शिक्षा का प्रचार हुआ और सामाजिक स्थिति बदलने लगी। परन्तु उच्च वर्ग के लोगों ने इसका विरोध किया। वे छत्रपति साहू महाराज को अपना शत्रु समझने लगे। उनके पुरोहित तक ने यह कह दिया कि- ‘आप शूद्र हैं और शूद्र को वेद के मंत्र सुनने का अधिकार नहीं है। छत्रपति साहू महाराज ने इस सारे विरोध का डट कर सामना किया। 


जयन्ती अवसर पर रामकेश चौधरी, रामशंकर, रितेश चौधरी, आदित्य पटेल, अरविन्द पटेल, अभिषेक चौधरी, शीतला पटेल, अरूण पटेल आदि उपस्थित रहे।