चीन को बर्बाद करने वाला: ये है भारत का ब्रह्मास्त्र,जैसे भारत ने ट्रेड बाडीज़ का इस्तेमाल कर मलेशिया को बर्बाद किया था,उसी हथियार चीन को भी बर्बाद करेगा


चाणक्य ने कहा था शत्रु को जहां से भी आर्थिक, सामाजिक, मानसिक एवं शारीरिक शक्ति प्राप्त हो रही है, उस स्रोत को शत्रु तक पहुंचने से पहले ही मिटा दो। भारत अब इन सभी पहलुओं पर ध्यान देते हुए अपने विरोधी देशों को सबक सिखा रहा है, खास कर आर्थिक पहलू पर। भारत ने पहले मलेशिया से आने वाले palm oil इम्पोर्ट पर बैन लगा कर वहाँ के पूर्व प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद को सबक सिखाया, तो वहीं अब चीन से आने वाले प्रॉडक्ट का बहिष्कार कर चीन को भी सबक सिखाने के लिए कदम उठा चुका है। सबसे अहम बात यह है कि इन आर्थिक बहिष्कारों में केंद्र सरकार का प्रत्यक्ष रूप से कोई आधिकारिक निर्देश नहीं है, बल्कि भारत अपनी Trade bodies का इस्तेमाल कर अपने विरोधियों को सबक सिखा रहा है। ऐसे में आज के आर्थिक युद्ध में ये trade bodies भारत के लिए किसी ब्रह्मास्त्र से कम नहीं हैं।


हाल ही में चीन ने भारत के साथ बार्डर पर विवाद खड़ा कर अपनी गुंडागर्दी दिखाने की कोशिश की, जिसके बाद भारत में चीन के खिलाफ माहौल बन चुका है और चीन से आने वाले सामान का बहिष्कार शुरू हो चुका है। हालांकि यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि एक तरफ सरकार चीन से बॉर्डर पर निपट रही है, तो वहीं पूरे देश से चीन के सामान की बिक्री कम करने के लिए अब व्यापारियों का टॉप संगठन स्वयं आगे आ गया है। भारत में व्यापारियों की टॉप बॉडी कंफडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स यानि CAIT ने चीनी सामान का बहिष्कार कर अगले साल के अंत तक चीन को 1 लाख करोड़ रुपये का घाटा पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। यह चीन के लिए असहनीय आर्थिक झटका साबित होगा।


CAIT ने करीब 3,000 ऐसी वस्तुओं की लिस्ट बनाई है जिनका बड़ा हिस्सा चीन से आयात किया जाता है, लेकिन जिनका विकल्प भारत में मौजूद है या तैयार किया जा सकता है। CAIT ने जिन वस्तुओं की सूची बनाई है, उनमें मुख्यत: इलेक्ट्रॉनिक गुड्स, एफएमसीजी उत्पाद, खिलौने, गिफ्ट आइटम, कंफेक्शनरी उत्पाद, कपड़े, घड़ियां और कई तरह के प्लास्टिक उत्पाद शामिल हैं। अब CAIT इन्हें भारत के निर्माताओं से ही खरीदने की कोशिश करेगा, जिससे “वॉकल फॉर लोकल” मुहिम को बढ़ावा मिलेगा।अभी हर साल भारत ट्रेड डेफ़िसिट के रूप में कई बिलियन डॉलर चीन पर लुटा देता है।


उदाहरण के लिए वर्ष 2019-20 में भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार करीब 81.6 अरब डालर का हुआ था जिसमें से चीन से आने वाला माल यानी आयात करीब 65.26 अरब डॉलर का था, और भारत चीन को सिर्फ 16 अरब डॉलर ही एक्सपोर्ट कर पाया था। यानि चीन के साथ व्यापार करने पर भारत को हर साल लगभग 50 अरब डॉलर का नुकसान होता है।


ऐसे में अगर भारत के लोग चीनी सामान का बहिष्कार करने का फैसला ले लेते हैं, तो चीन को इससे बड़ी पीड़ा पहुंचेगी। इसका नमूना हमें देखने को भी मिल चुका है, जब हाल ही में चीनी सामान के बहिष्कार करने को लेकर चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने भारत को धमकी जारी की थी।


इससे पहले भारत मलेशिया के साथ इसी तरह का आर्थिक बहिष्कार कर चुका है जिसका फायदा देखने को मिला और यह देश तुरंत लाइन पर आ गया। दरअसल जब मलेशिया में प्रधान मंत्री पद पर महातीर मोहम्मद बैठे थे, तब उन्होंने कई बार भारत विरोधी बयान दिया। हद तो तब हो गयी जब उन्होंने पाकिस्तान का साथ देते हुए जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने के मामले को भारत का कश्मीर पर आक्रमण करार दिया। यही नहीं इसके बाद महातिर ने नागरिकता संशोधन कानून पर भारत सरकार की आलोचना की।


इसके बाद भारत ने अपना दांव खेलना शुरू किया और मलेशिया को वहाँ चोट दी जहां उसे सबसे अधिक दर्द होने वाला था यानि आर्थिक तरीके से। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट आई जिसमें यह दावा किया गया था कि भारत मलेशिया से होने वाले आयात पर प्रतिबंध लगा सकता है, जिसके बाद भारतीय ऑयल रिफाइनर्स ने मलेशिया से आयात होने वाले पाम ऑयल का बहिष्कार कर दिया था।


 


इससे लगभग 3 करोड़ लोगों को रोजगार देने वाली मलेशिया की पाम ऑयल इंडस्ट्री को गहरा धक्का पहुंचा। महातिर मोहम्मद ने भी यह माना था कि भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर कोई एक्शन नहीं लिया है और भारतीय रिफाइनर्स ने अपने आप से ही मलेशिया के पाम ऑयल का बहिष्कार कर दिया है।


 


यही नहीं भारत ने पाम ऑयल के बाद Malaysiaसे इम्पोर्ट होने वाली अन्य चीज़ें जैसे micro-processor को निशाना बनाना शुरू कर दिया था।


 


इससे मलेशिया की जनता महातिर मोहम्मद के खिलाफ हो गयी और उन्हें अपने पद से हटना पड़ा। उसके बाद नई सरकार ने भारत से रिश्तों को सुधारना शुरू किया। नई सरकार ने भारत से भरपूर मात्रा में चीनी और चावल आयात कर भारत सरकार को संकेत दे दिया था कि वह भारत से संबंध सुधारने को लेकर चिंतित है। इसके बाद भारत ने भी दोबारा मलेशिया से palmoil का आयात शरू कर दिया था।


 


इससे स्पष्ट होता है कि भारत कूटनीति के साथ-साथ आर्थिक रणनीति का इस्तेमाल कर दुश्मनों पर दोहरा प्रहार कर रहा है, और मलेशिया के बाद चीन की गुंडागर्दी को भी भारत इसी प्रकार मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी में है। चीन को भी यह समझना चाहिए कि अब भारत के व्यापारिक संगठनों ने boycott China की मुहिम शुरू कर दी है और अब चीन की लंका लगनी तय है।