अखिर कब तक मिलेगी मां के गुनाहों की सजा मासूमों को, क्षमता से अधिक महिलाए जेलों में बंद हैं


बस्ती : जिला कारागार में क्षमता से दोगुना महिला बंदी बैरक में हैं। महिला बंदियों में एक गर्भवती तो पांच ऐसी हैं,जो पांच सालसे कम उम्र के बच्चों के साथ महिला बैरक में रहती हैं। क्षमता से अधिक महिला बंदी रखने के कारण उनमें संक्रमण का खतरा अधिक है।


जिला कारागार में 480 बंदियों को रखे जाने की क्षमता है, इसके इतर कारागार में कुल 1078 बंदी रखे गए हैं। यही हाल जेल के एकमात्र महिला बैरक का है। 30 को रखने की क्षमता है,लेकिन रखी गई हैं 63 महिला बंदी। दोगुना से अधिक महिला बंदियों को रखे जाने के कारण जेल प्रशासन उनके स्वास्थ्य को लेकर चौकन्ना है। महिला बंदियों के साथ छोटे बच्चे भी हैं लिहाजा उनमें कोरोना संक्रमण का खतरा अधिक हैं। इससे बचाने के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। चूंकि इन दिनों गर्भवती महिलाओं के संक्रमित होने की आशंका सामान्य महिलाओं से अधिक है। ऐसे में जेल में निरुद्ध एक मात्र गर्भवती महिला बंदी के लिए निर्धारित डाइट की व्यवस्था की गई है। इसमें 600 एमएल दूध, दो फल के साथ भोजन दिया जा रहा है। इसके साथ ही समय-समय पर उनका महिला अस्पताल के स्टाफ की ओर से टीकाकरण भी कराया जा रहा है। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए शाम को काढ़ा दिया जाता है। इसमें तुलसी, दालचीनी, कालीमिर्च, लौंग, मुनक्का और गुड़ का प्रयोग किया जा रहा है। दिन में आम का पन्ना भी दिया जा रहा है। दाल में भी टमाटर का प्रयोग किया जा रहा है। बच्चों के लिए अलग से बर्तन व बिस्तर


मां के गुनाहों की सजा पांच मासूमों को भी काटनी पड़ रही है। महिला बैरक में अपनी मां के साथ पांच बच्चे भी हैं। जिन्हे पता ही नहीं कि वह जेल में क्यों हैं। उनका बचपन जेल की चहारदीवारी में बीत रहा है। जेल प्रशासन के अनुसार उनके लिए अलग से बर्तन और बिस्तर की व्यवस्था की गई है। उन्हें 500 एलएल दूध दिया जाता है। दो साल से अधिक उम्र वाले बच्चों को दो केला, भुना चना भी दिया जाता है।


छह महिला बंदियों का उनके अनुरोध पर दो दिन पहले स्वाब टेस्ट कराया गया है। अभी रिपोर्ट आनी बाकी है। महिला बंदियों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए हर वह प्रयास किया जा रहा है जो जरूरी है। उनकी प्रतिदिन थर्मल स्क्रीनिग भी कराई जाती है।