वित्त मंत्री ने 11 बड़े एलानो के साथ तीसरी किस्त की घोषणा की,कृषि क्षेत्र पर रहा विशेष ध्यान,एक लाख करोड़ का कोष



नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों के लिए बड़े एलान किए. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की तीसरा किस्त है. शुक्रवार शाम 4 बजे उन्होंने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस में आर्थिक पैकेज की तीसरी किस्त के बारे में जानकारी दी.


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि आज भी भारत की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है. जो लोग कृषि पर निर्भर हैं उनमें से 85 फ़ीसदी सीमांत और मध्यम किसान हैं. यह भारत सरकार के 2020 के आर्थिक सर्वे पर आधारित आंकड़े हैं. तमाम विपरीत परिस्थितियों के बाद भी किसान अपने कामकाज में कोई कसर नहीं छोड़ते. अतिवृष्टि और अल्प वृष्टि से लड़ते हुए किसान फसल उगाने की कोशिश करता है.


आज वित्त मंत्री ने कुल 11 कदमों की घोषणा की. इनमें 8 उपाय शामिल हैं. इनके अलावा उन्होंने ऐसे 3 कदमों की घोषणा की, जिनका संबंध कानून से है. इन 11 उपायों से कृषि और संबंधित क्षेत्रों में बड़ा बदलाव आएगा. किसानों की आय बढ़ेगी. उन्हें अपनी फसल की सही कीमत मिल सकेगी. उनका शोषण रुकेगा.


सीतारमण ने कहा कि पिछले 2 महीने में कृषि और किसानों को सपोर्ट करने के लिए बहुत सारे कदम उठाए गए हैं. लॉकडाउन के बीच में मिनिमम सपोर्ट प्राइस के रूप में 74,300 करोड़ रुपये की कृषि उपज खरीदी गई है. पीएम किसान फंड के माध्यम से 18,700 करोड़ रुपये किसानों को दिए गए हैं. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के दावे के रूप में ₹6400 करोड़ का भुगतान किया गया है.






लॉकडाउन के दौरान कॉपरेटिव ने दूध की प्रोसेसिंग बढ़ा दी. रोजाना 560 लाख लीटर रोज दूध की प्रोसेसिंग की गई. जबकि इस दौरान औसत खपत 360 लाख लीटर प्रतिदिन ही रही. इस अवधि में कॉपरेटिव को ₹4100 करोड़ दिए गए जिससे कि 111 करोड़ लीटर एक्स्ट्रा प्रोक्योर्ड मिल्क के लिए भी पेमेंट किया जा सके. इस अवधि में पशु पालन करने वाले को 5,000 करोड़ रुपये की तरलता उपलब्ध कराने की सरकार ने कोशिश की है. इसमें दो फीसदी इंटरेस्ट सब्वेंशन भी शामिल है.


मछली पालन के लिए सरकार ने इस अवधि में काफी नई-नई कोशिश की है और इससे भी मछली पालन करने वाले किसानों को काफी फायदा मिला है. एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के लिए मोदी सरकार ने ₹1,00,000 करोड़ का प्रावधान किया है. इंफ्रास्ट्रक्चर बनाकर इससे किसानों को उपज संरक्षित करने में मदद मिलेगी. कृषि उपज के बाद भारत में कोल्ड चेन की कमी और हार्वेस्ट मैनेजमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी की वजह से काफी फसल बर्बाद होता है. इसके लिए सरकार ने 1,00,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.


वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार माइक्रो फूड एंटरप्राइजेज (एमएफई) को बढ़ावा देने के लिए 10,000 करोड़ रुपये की स्कीम लाएगी. वास्तव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि हम स्थानीय सामान के लिए वोकल बनें और लोकल से ग्लोबल बनने की कोशिश करें. यह इसी लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगा.


इस स्कीम से माइक्रो फूड एंटरप्राइजेज को बड़ी मदद मिलेगी. बिहार में मखाना होता है, इसी तरीके से तमिलनाडु में हल्दी होती है, यूपी में आम होता है, जम्मू कश्मीर में केसर होता है, नॉर्थ ईस्ट में बांस से जुड़े उत्पाद बनाए जा सकते हैं. आंध्र प्रदेश में मिर्च से जुड़ी चीजें बनाई जा सकती हैं. तमिलनाडु में वहां के स्थानीय उत्पादों से चीज बनाई जा सकती है. इनके लिए सरकार ने ₹10,000 करोड़ का प्रावधान किया है.


भारत सरकार प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के माध्यम से देश के मछुआरों को ₹20,000 करोड़ की मदद देने जा रही है. फिश के वैल्यू चैन में बहुत महत्वपूर्ण गैप है जिन्हें फिल करने की जरूरत है. सरकार प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना कार्यक्रम के जरिए इंटीग्रेटेड, सस्टेनेबल, इंक्लूसिव डेवलपमेंट ऑफ मरीन एंड आइलैंड फिशरीज की स्थापना करने जा रही है.


इसमें 11,000 करोड़ रुपये का प्रावधान मैरीन इनलैंड फिशरीज और एक्वाकल्चर के लिए किया जा रहा है, जबकि 9,000 करोड़ रुपये का प्रावधान इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए किया जा रहा है. इसमें फिशिंग हार्बर, कोल्ड चेन, मार्केट इत्यादि शामिल है.


इससे भारत में अगले 5 साल में 70 लाख टन फिश प्रोडक्ट्स का उत्पादन हो सकेगा. इसमें 55 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा जबकि भारत का निर्यात दोगुना होकर ₹1,00,000 करोड़ हो जाएगा.


भारत सरकार नेशनल एनिमल डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम ला रही है. इसके माध्यम से पशुओं में मुंहपका, खुरपका जैसे रोग पर काबू पाने में मदद मिलेगी. इसके लिए भारत सरकार ने 13,343 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. इस रकम के माध्यम से देश में गाय, भैंस, भेड़, बकरी और सूअर आदि जैसे 53 करोड जानवरों का को टीका लगाया जा सकेगा. अब तक डेढ़ करोड़ गाय और भैंस को टैग किया गया है और उनको बीमारी का टीका लगा दिया गया है.


भारत सरकार एनिमल हसबेंडरी इन्फ्राट्रक्चर डेवलपमेंट फंड के रूप में 15,000 करोड़ रुपये का प्रावधान कर रही है. देश में दूध उत्पादन के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं और इस क्षेत्र में निजी निवेश को भी आकर्षित करने की कोशिश की जानी चाहिए.


भारत सरकार का उद्देश्य है कि डेयरी प्रोसेसिंग, वैल्यू एडिशन और कैटल फीड इंफ्रास्ट्रक्चर में निजी निवेश को आकर्षित किया जाए. एनिमल हसबेंडरी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड के रूप में ₹15,000 का प्रावधान किया जा रहा है. इसमें इस तरह के प्लांट की स्थापना के लिए इंसेंटिव दिए जाएंगे.


भारत में हर्बल उत्पादों की खेती के लिए सरकार ₹4,000 का प्रावधान करने जा रही है. नेशनल मेडिकल प्लांट्स बोर्ड के रूप में भारत सरकार की एक संस्था देश में मेडिसिनल प्लांट्स की खेती के लिए 2.5 लाख हेक्टेयर जगह में किसानों की मदद कर रही है. हर्बल उत्पादों की खेती के लिए अगले 2 साल में ₹4,000 करोड़ की मदद से 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया जाएगा.


केंद्र सरकार की इस पहल से किसानों को ₹5000 करोड़ की आमदनी सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी. मेडिसिनल प्लांट के लिए क्षेत्रीय स्तर पर नेटवर्क बढ़ाए जा रहे हैं और नेशनल मेडिसिनल प्लांट बोर्ड 800 हेक्टेयर एरिया में मेडिसिनल प्लांट की खेती का काम करेगा. यह खेती गंगा नदी के किनारे की जाएगी.







भारत सरकार वास्तव में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए बहुत बड़े कदम उठा रही है. मधुमक्खी पालन के लिए किसानों को 500 करोड़ रुपये की मदद दी जा रही है. मधुमक्खी पालन वास्तव में ग्रामीण इलाकों के लोगों के लिए बहुत मददगार साबित हो सकता है. ग्रामीण इलाकों में मधुमक्खी पालन करने वाले दो लाख से अधिक लोगों को इससे फायदा मिलेगा. इसमें मधुमक्खी से शहद और मोम दोनों की उपज हो सकती है.


लॉक डाउन की अवधि में किसानों से जुड़े बहुत से सप्लाई चेन बाधित हुए हैं. किसान अपनी कृषि उपज मार्केट में बेचने में सफल नहीं हो पा रहे हैं. इस वजह से भारत सरकार ने टोमेटो, अनियन और पोटेटो के हिसाब से इनको सपोर्ट करने के लिए 500 करोड़ रुपये के फंड का प्रावधान किया है.






ऑपरेशन ग्रीन के तहत टमाटर, प्याज और आलू को भी शामिल किया जाएगा और इसके लिए ₹500 का प्रावधान किया जा रहा है. इस स्कीम में अधिक कृषि उपज वाले सामान को कम उपज वाले इलाकों में पहुंचाने पर ट्रांसपोर्टेशन पर 50 फीसदी सब्सिडी दी जाएगी और कोल्ड स्टोरेज जैसी जगहों पर कृषि उपज रखने पर 50 फीसदी सब्सिडी दी जाएगी. इस स्कीम का पायलट प्रोजेक्ट 6 महीने के लिए चलेगा और उसके बाद में आगे बढ़ाया जा सकता है इससे किसानों के लिए बेहतर को लाभ पहुंचाने में मदद मिलेगी.


भारत सरकार ने किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य सुनिश्चित करने के लिए एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट में सुधार करने का प्रस्ताव किया है. एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट 1955 कोरोना संक्रमण की शुरुआत से ही लागू है.


वास्तव में इस अवधि में किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य सुनिश्चित करने की जरूरत है. इस पहल के माध्यम से भारत सरकार कृषि क्षेत्र को और अधिक प्रतियोगी बनाना चाहती है.


एग्रीकल्चरल फूड में अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दाल, प्याज और आलू जैसी कृषि उपज को डीरेगुलेट किया जा रहा है. किसी प्राकृतिक आपदा या अचानक कीमत बढ़ने की स्थिति में स्टॉक लिमिट लागू की जाएगी, लेकिन यह सिर्फ अपवाद की स्थिति में ही होगी.


प्रोसेसर वैल्यू चेन में शामिल लोगों के लिए स्टॉक लिमिट की कोई सीमा लागू नहीं होगी, खासतौर पर निर्यातकों के लिए भी इस तरह की कोई लिमिट लागू नहीं होगी. सरकार कानून में सुधार करने जा रही है.


सरकार कृषि उपज के बिक्री के मामले में सुधार लागू करना चाहती है. मोदी सरकार किसानों की आय दोगुना करना चाहती है, उसी दिशा में यह कदम उठाए जा रहे हैं. इस कदम के तहत किसान एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमिटी में सिर्फ लाइसेंसी को अपना कृषि उपज बेचने के लिए बाध्य नहीं होंगे. सरकार इस नियम में संशोधन करने जा रही है.







इस तरह की बाध्यता किसी औद्योगिक उत्पाद में नहीं है. इस वजह से किसानों को उनकी उपज का कम पैसा मिल पाता है. इसके लिए एक केंद्रीय कानून बनाया जा रहा है जिससे कि किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिले. वह एक राज्य से दूसरे राज्य में अपनी कृषि उपज भेज सकें और ई-ट्रेडिंग के लिए फ्रेमवर्क बनाया जा रहा है.







भारत सरकार कृषि उपज की कीमत और क्वालिटी सुनिश्चित करना चाहती है. इसके लिए किसानों को एक स्टैंडर्ड मशीनरी उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है जिससे कि किसी फसल की खेती के शुरुआत में ही उनको उसकी कीमत का अंदाजा लग सके.


कृषि क्षेत्र में निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए भी विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे. इसके साथ ही प्रोसेसर, एग्रीगेटर, बड़े रिटेलर और एक्सपोर्टर के साथ किसान जुड़ सकें और अपना कृषि उपज सीधा उन्हें बेच सकें इसके लिए कानूनी ढांचा बनाने की बात की जा रही है.





इसके साथ ही किसानों का जोखिम कम करने के लिए उन्हें निश्चित आय के लिए और उनके फसल की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके, इस कानून में इन सभी बातों का ध्यान रखा जाएगा.