विमानो के संचालन पर राज्यों मे एकमत नहीं, कोई ट्रांसपोर्टर कोई अमफान तूफान का दे रहा है हवाला


लॉकडाउन- 4 में ढील दिए जाने को लेकर केंद्र और राज्य के बीच खींचतान बढ़ रही है. महाराष्ट्र, बंगाल, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु ने विमान सेवा शुरू करने को लेकर केंद्र के सामने कई सारी आपत्तियां सामने रखी थीं. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने नागरिक उड्डयन मंत्री से फोन पर बात करते हुए मुंबई और पुणे जैसे कोरोना प्रभावित शहरों का हवाला दिया. महाराष्ट्र ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय को भेजे एक ई-मेल में कहा कि मुंबई और पुणे दोनों रेड जोन में हैं. इन शहरों में लोकल ट्रांसपोर्ट पर पाबंदी है. ऐसे में रोजाना 27 हजार से ज्यादा लोगों के आने-जाने का इंतजाम कैसे होगा? हालांकि बाद में उन्होंने 25 फ्लाइट्स की आवाजाही की मंजूरी दे दी.


वहीं, अम्फान तूफान से प्रभावित बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कहा था कि हम आपदा झेल रहे हैं इसलिए बेहतर होगा कि उड़ान सेवा को कुछ दिन और रोका जाए. उन्होंने केंद्र से उड़ान 25 मई की बजाय 30 मई से शुरू करने को कहा था. उन्होंने कहा, 'मुझे पता है कि लोग परेशान होंगे. लोग लौटते हैं तो मैं उनका स्वागत करूंगी, उन्हें क्वारनटीन सेंटर में रहने की भी जरूरत नहीं होगी. हम सुनिश्चित करेंगे कि वो घर पर रुकें, लेकिन कम से कम हमें 3 दिन दीजिए, उड़ान 28 मई से शुरू कीजिए. ये आपातकाल है, ईद और आपदा एक साथ आई है. पर्याप्त वाहन नहीं चल रहे हैं. लॉकडाउन है. ये एक समस्या है. इतने लोग कैसे अपने-अपने जिलों तक जाएंगे?'


पश्चिम बंगाल 28 मई से बागडोगरा एयरपोर्ट से और 30 मई से कोलकाता एयरपोर्ट से उड़ान सेवा शुरू करने की अपील कर रहा है.


वहीं, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी को चिट्ठी लिखकर अपने मन की बात बताई है. उन्होंने लिखा, 'घरेलू उड़ान शुरू करने से संक्रमण फैलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. कोविड-19 महामारी की रोकथाम और संक्रमण से बचाव की दृष्टि से नागरिक उड्डयन मंत्रालय को प्रभावी उपायों और दिशा-निर्देशों के अंतर्गत ही उड़ान संचालन शुरू करना चाहिए. राज्यों को प्रत्येक उड़ान की जानकारी और यात्रियों का पूरा ब्योरा उपलब्ध कराया जाना चाहिए. हवाई यात्रा करने वालों को 14 दिन क्वॉरंटीन रहना जरूरी किया जाए.'


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलानीसामी ने भी 30 मई तक हर तरह के ट्रांसपोर्ट को न चलने देने का सुझाव दिया था.


श्रमिक ट्रेन चलाए जाने को लेकर भी हुई थी खींचतान


महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार के बीच श्रमिक ट्रेन चलाए जाने को लेकर भी तकरार जारी है. रेल मंत्री पीयूष गोयल ने रविवार की रात एक के बाद एक कई ट्वीट किए, जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र सरकार को निशाने पर लिया.


रेल मंत्री पीयूष गोयल ने लिखा, 'हम महाराष्ट्र को 125 श्रमिक स्पेशल ट्रेन देने के लिए तैयार हैं. जैसा कि आपने बताया कि आपके पास श्रमिकों की लिस्ट तैयार है. ऐसे में आप एक घंटे में मध्य रेलवे के महाप्रबंधक को लिस्ट सौंप दें, जिससे हम ट्रेनों को समय पर चला सकें. पहले की तरह ट्रेन को खाली ना जाना पड़े.'


जिसके बाद शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने रेल मंत्री पीयूष गोयल के ट्वीट का जवाब देते हुए कहा, 'महाराष्ट्र सरकार ने रेलवे को श्रमिकों की लिस्ट सौंप दी है, लेकिन मैं रेल मंत्री पीयूष गोयल जी से निवेदन करता हूं कि मजदूरों को ले जा रही ट्रेन अपनी मंजिल पर ही पहुंचे ना कि गोरखपुर जाने वाली ट्रेन की तरह ओडिशा पहुंच जाए.'


इसके बाद रेल मंत्री पीयूष गोयल ने एक और ट्वीट किया और कहा, 'रात के 12 बज चुके है और 5 घंटे बाद भी हमारे पास महाराष्ट्र सरकार से कल की 125 ट्रेनों की डिटेल्स और पैसेंजर लिस्ट नही आयी है. मैंने अधिकारियों को आदेश दिया है, फिर भी प्रतीक्षा करें और तैयारियां जारी रखें.'


फिर रेल मंत्री पीयूष गोयल ने एक और ट्वीट किया और कहा, 'मेरा अनुरोध है कि महाराष्ट्र सरकार अभी भी अगले एक घंटे में कितनी ट्रेन, कहां तक और पैसेंजर लिस्ट हमें भेज दें. हम प्रतीक्षा कर रहे हैं और पूरी रात काम कर कल की ट्रेनों की तैयारी करेंगे. कृपया पैसेंजर लिस्ट अगले एक घंटे में भेज दें.'


छत्तीसगढ़ सरकार ने भी पीयूष गोयल को लिखा था पत्र


सीएम भूपेश बघेल ने रेल सेवा को लेकर पीयूष गोयल को भी एक पत्र लिखा था. इसमें उन्होंने कहा कि श्रमिक स्पेशल ट्रेन की तरह बाकी ट्रेन भी प्वाइंट टू प्वाइंट यानी स्टेट टू स्टेट चलाई जाएं. यात्रियों का एक-दूसरे से संपर्क नियंत्रित करने के लिए अधिकतम दो स्टॉपेज रखे जाएं और शारीरिक दूरी के दृष्टिकोण से यात्रियों की संख्या निर्धारित क्षमता से कम रखी जाए.


ममता सरकार के साथ भी हुई तकरार


इससे पहले पश्चिम बंगाल सरकार पर भी पीयूष गोयल ने श्रमिक ट्रेन की लिस्ट देने में देरी करने का आरोप लगाय था. उन्होंने कहा था कि वो ट्रेनों की संख्या बताने में देरी कर रही हैं. श्रमिक स्पेशल ट्रेनों और मजदूरों के पलायन पर आजतक से खास बातचीत में रेल मंत्री ने कहा कि यह दुर्भाग्य है कि हमारे तमाम प्रयासों के बावजूद कई राज्य ट्रेन की सुविधा ले ही नहीं रहे हैं. भारतीय रेल ने जो सुविधा उपलब्ध कराई है उसमें हमने 1200 ट्रेनें पूरी तरह से श्रमिक ट्रेनों के लिए आरक्षित कर दी हैं. जिसके तहत हम हर रोज 250 से 200 ट्रेन हर रोज चला सकते हैं.


रेल मंत्री ने कहा कि पहली मई से पूरी तैयारी थी. हमारा अनुमान था कि राज्य सरकारें जो बड़ी-बड़ी बातें करती थीं, सैकड़ों चिट्ठियां आती थीं कि ट्रेन चलाएं. लेकिन अब मुंबई को ही देख लीजिए. मुंबई से पश्चिम बंगाल को 6 मई से रोज चिट्ठियां जा रही हैं कि हमें पश्चिम बंगाल में ट्रेन भेजनी हैं अलग-अलग जगह. 17 ऐसी रिक्वेस्ट कल तक पश्चिम बंगाल को भेजी गई हैं. वैसे तो रिक्वेस्ट 100 ट्रेनों की है पर वो कह रहे हैं कि इन्हें कैसे भेजें जब पहले की 17 रिक्वेस्ट ही अप्रूव नहीं हुई हैं. मैंने खुद आज दोपहर तीन बजे फोनकर मुंबई से पूछा कि कोई परमिशन आई तो उन्होंने कहा कि जीरो, एक भी परमिशन नहीं आई.


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