रियाज़त है ख़ुद की और साथ में दुआएं भी ! ऐसे में मंज़िल रहेगी दूर कब तक !! चर्चित कवि व मंच संचालक तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु का यह शेर ख़ुद उनके ही किरदार पर सटीक बैठता है ! अंबेडकरनगर निवासी कवि जिज्ञासु पेशे से शिक्षक हैं ! कविता और शायरी उनका शौक़ है जो उन्हें निरंतर शोहरत के नए-नए पायदान पर खड़ा करता है ! यह बताना ज़रूरी है कि जिज्ञासु शायरी के साथ-साथ कवि सम्मेलन व मुशायरे की निजामत का किरदार बखूबी निभाते हैं ! किसी भी तरह का साहित्यिक व सामाजिक मंच हो वहां जिज्ञासु की उपस्थिति ही कार्यक्रम की कामयाबी हुआ करती है ! लेखन का शौक भी ऐसा कि हर विषय वस्तु पर किसी न किसी विधा में लिख देते हैं ! कोरोना संक्रमण व लॉक डाउन के साथ सोशल मीडिया पर ऑनलाइन कवि सम्मेलन तथा फेसबुक लाइव शो में निरंतर जिज्ञासु जी का काव्य पाठ व संचालन चल रहा है ! रवीना प्रकाशन नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित जिज्ञासु का प्रथम काव्य संग्रह - " एक आईना जिज्ञासु की कलम से " पाठकों द्वारा खूब पसंद की गई ! हाल ही में कई साहित्यिक संस्थाओं द्वारा जिज्ञासु को सम्मानित किया गया है ! इसी कड़ी में " हम तुम और ग़ज़ल शायरी एवं ग़ज़ल संध्या परिवार " द्वारा आयोजित ऑनलाइन अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में जिज्ञासु जी को तुलसी मीर सम्मान से नवाज़ा गया है ! उनके सम्मान पर शिक्षकों कवियों और साहित्यकारों ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दी !
तुलसी मीर सम्मान से सम्मानित हुए अम्बेडकर नगर के तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु !