धरती के सबसे करीब मौजूद एक ब्लैक होल,ये इतना बड़ा है कि कई सूरज निगल के,धरती से साढ़े 9 हजार मिलियन किलोमीटर दूर है ये.


नई दिल्ली: स्पेस में दिलचस्पी रखने वालों के लिए एक अच्छी खबर है. वैज्ञानिकों ने धरती के सबसे करीब मौजूद एक ब्लैक होल की खोज की है. यह ब्लैक होल धरती से कुछ साढ़े 9 हजार मिलियन किलोमीटर दूर है. पढ़कर आपको ये दूरी बहुत ज्यादा लग सकती है लेकिन यूनिवर्स को समझने वालों की मानें तो ये ब्लैक होल धरती के बस पड़ोस में ही है. ज्यादा दूर नहीं है.


ब्लैक होल स्पेस का एक ऐसा तत्व है जिसे लेकर काफी उत्सुकता बनी रहती है. तो अगर आप नहीं जानते कि ब्लैक होल क्या है तो जान लीजिए. ये समझ लीजिए कि जब एक तारा खत्म होता है तो ब्लैक होल की शुरूआत होती है. बताया जाता है कि करोड़ों सालों तक जिंदा रहने के बाद जब कोई बड़ा सा तारा बूढ़ा होने लगता है तो उसके अंदर खुद का वजन सहन करने की ताकत नहीं बचती. वह धीरे धीरे अपने ही अंदर सिमटने लगता है और एक एटम जितना छोटा हो जाता है. आप इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि जब कोई बड़ा तारा अपने आखिरी पल में होता है तो उसमे एक बड़ा सा धमाका होता है जिसे सुपरनोवा कहते हैं और उस तारे के तत्व अंतरिक्ष में फैल जाते हैं. मरे हुए तारे अपने पीछे जो ठोस अवशेष छोड़ जाते हैं उसको ब्लैक होल कहते है


यहां सुनने में लग सकता है कि मरा हुआ तारा पीछे क्या छोड़कर जाएगा और ये ब्लैक होल हद से हद कितना बड़ा होगा. लेकिन आप ये समझिए कि हर तारा ब्लैक होल नहीं बनता, ये सिर्फ बड़े बड़े तारों के साथ होता है, वो तारे जो साइज़ में सूरज से कहीं ज्यादा बड़े होते हैं और उससे बनने वाले एक ब्लैकहोल का साइज इतना बड़ा होता है कि उसमें लाखों सूरज समा जाएं. 


ब्लैक होल स्पेस में मौजूद एक भारी भरकम सामान की तरह है जिसकी ग्रैविटी बहुत शक्तिशाली होती है. इतना शक्तिशाली कि यूनिवर्स की कोई भी चीज उसके मुंह में जाने से बच नहीं सकती, यहां तक कि रोशनी भी ब्लैक होल के भूखे पेट का खाना बन जाती है. जो कुछ भी उसके पास से गुज़रता है, (यहां तक कि आप भी) वो उसे निगल जाता है. आप उससे बचकर निकलने की कोशिश नहीं कर सकते क्योंकि उसकी ग्रैविटी इतनी ज्यादा है कि हम खुद ब खुद उसमें खिंचते चले जाएंगे.


आप इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि किसी छोटे से सूटकेस में सामान को ठूंस ठूंसकर भर देना. इसी तरह सूरज से 10 गुना बड़ा तारा सिकुड़कर छत्तीसगढ़ या तमिलनाडु के साइज का हो जाता है और वो इतना सिकुड़ जाता है कि उसमें से लाइट तक को जाने का मौका न मिले. वही है ब्लैक होल. महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने पहले पहल ब्लैक होल के बारे में अंदाजा लगाया था लेकिन फिर महान भौतिकशास्त्री स्टीवन हॉकिंग ने ब्लैक होल से दुनिया को असल में मिलवाया. स्टीवन हॉकिंग ने ब्लैक होल के बारे में बहुत कुछ नया बताया और नया सिखाया.


हॉकिंग ने अपने साथी वैज्ञानिक रोजर पेनरोज़ के साथ यह पता लगाने की कोशिश की कि अगर आप इस ब्लैक होल के बीचों बीच पहुंचेंगे तो आप को क्या मिलेगा. Singularity – जो है ब्लैक होल का सेंटर जहां निगला हुआ सारा सामान मिलकर मानो एक छोटी सी गोली में सिमट जाता है. यही वो जगह है जहां ब्लैक होल का की ग्रैविटी सबसे ज्यादा होती है. एक होल के अंदर आपको कायनात के न जाने कौन कौन से अंश मिलेंगे, तारे, धूल, मिट्टी, स्पेस में विचरण करने वाले  अंतरिक्ष यात्री के छोड़े गए टूटब्रश, टिश्यु पेपर और अगर हाथी, घोड़े, भी स्पेस में पहुंच जाएं तो वो भी उस ब्लैक होल में मिल जाएंगे. कोई नहीं जानता ब्लैक होल में पहुंचकर क्या होता है. क्या यहां एक अलग ब्रह्मांड है या व्यक्ति इसमें जाकर सब कुछ भूल ही जाता है. दरअसल ब्लैक होल अभी भी एक पहेली ही है जिसकी परतें धीरे धीरे खुल रही हैं.


पिछले साल ब्लैक होल ही पहली तस्वीर जारी की गई थी और वैज्ञानिकों का कहना था कि जो देखा गया है वो पूरे सौर्यमंडल के साइज से कहीं ज्यादा बड़ा है और अब धरती के सबसे करीब ब्लैक होल को खोजा लिया गया है. देखते हैं ब्लैक होल हमें आगे और कितना चौंकाने वाला है.


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