केंद्र ने प्रवासियों को घर भेजने के लिए चलाई गई ‘श्रमिक एक्सप्रेस’ की सेवाओं को बढ़ाने के लिए गंतव्य राज्यों की सहमति ली है। लेकिन बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों को प्रवासी मजदूरों की भीड़ को संभालने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। यहां भारी मात्रा में प्रवासी मजदूर वापस आ रहे हैं, बिहार और उत्तर प्रदेश प्रवासियों के लिए प्रमुख गंतव्य राज्य हैं। श्रमिकों की संख्या को देखते हुए उत्तर प्रदेश ने राज्य के भीतर आवाजाही के लिए स्थानीय ट्रेनों की मांग की है।
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को लिखे एक पत्र में, बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार ने अतिरिक्त ट्रेनों की मांग की है। दीपक कुमार ने लिखा है कि राज्य को उन ट्रेनों की आवश्यकता है जो यात्रियों को सीधे उनके गृह जिलों में ले जाये और उन जिलों के स्टेशनों पर रुके। कुमार ने अपने पत्र में कहा, “अगर इसका पालन नहीं किया जाता है और ट्रेनें विभिन्न जिलों से यात्रियों को एक साथ एक ही जगह लाती हैं, तो इससे प्रशासन को भारी कठिनाई होगी।”
श्रमिक स्पेशल ट्रेन से सबसे ज्यादा मजदूर उत्तर प्रदेश में आए हैं और उम्मीद है आगे भी आएंगे। इसको ध्यान में देते हुए यूपी ने रेलवे को लिखा है कि बसों की जगह विभिन्न जिलों में प्रवासी श्रमिकों को उनके पहुंचने के लिए राज्य के नौ मुख्य मार्गों पर मेनलाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट्स (मेमू) ट्रेनों का इस्तमल किया जाना चाहिए। वहीं बिहार में आने वाली ज़्यादातर श्रमिक स्पेशल ट्रेन यात्रियों को पटना के पास दानापुर में लेकर आ रहीं हैं। यहां से बसों के माध्यम से उन्हें उनके गृह जिलों तक पहुंचाया जाता है।
कुमार ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया “हम प्रति दिन लगभग 50 ट्रेनों को संभाल रहे हैं, जिसका मतलब है कि एक दिन में लगभग एक लाख यात्री। हम अपनी क्षमता के अनुसार इन ट्रेनों को प्राप्त कर रहे हैं। सहमति समस्या नहीं है और फंसे लोग वापस घर आना चाहिए। हमने केंद्र से कहा है कि अगर आप यहां और ट्रेन भेजना चाहते हैं तो आवश्यकतानुसार भेजे, वरना हमें ट्रेनों की संख्या बढ़ाने से हमें कठिनाई का सामना करना पड़ेगा।
बिहार में अबतक 367 श्रमिक एक्सप्रेस आ चुकी हैं। इसके अलावा गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, दिल्ली और उत्तर प्रदेश से 575 अतिरिक्त ट्रेनों के लिए सहमति पहले ही दी जा चुकी है।