बस्ती। महिला अपराधों को लेकर पुलिस गंभीर नही है। पीडित महिलाऐं न्याय पाने के आस मे चल रहे लाॅकडाउन मे अधिकारियों के चैखट खटखटा रही हैं। लेकिन इन्हें सुनने वाला कोई नही है। कहते हैं कि जहां रूपये की ताकत हो वहां कानून भी आंख बन्द कर लेता है। पुलिस गंभीर मामलों मे वांछित अभियुक्तों से याराना का सम्बन्ध निभाती है। निभाये भी क्यों न धर्नाजन उसी से ही होना है। इसकी ताजा उदाहण है जिले के कलवारी थाना क्षेत्र के उमरिया गांव की रहने वाली एक पीडित है जिसने 8 फरवरी 2020 को थाना कोतवाली मे मुकदमा अपराध संख्या- 0065/2020 धारा- 493,316,323,504,506 व दहेज उत्पीडन अधिनियम के तहत पांच लोगों केे विरूद्व मुकदमा दर्ज कराया था। लेकिन महीनों बीतने के बाद भी आरोपी गिरफ्तार नही हुए।
पीडिता ने बताया कि जबसे यह मुकदमा दर्ज हुआ है उसी समय मुकदमें के विवेचक शिवाजी मिश्रा ने आरोपी को गिरफ्तार कर छोड दिया था और उसे फरार होने का मंत्र देकर मामले को दबाते छिपाती और मेरे ही उपर ही नाजायज दबाव बनाते हुए अनेकों आरोप लगाती रहे। आज तक पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार करने से बच रही है। अब पुलिस का आरोपियों के प्रति अगाध मोह क्यों है यह विवेचक शिवाजी मिश्रा ही बता सकते हैं।
पीडिता ने बताया कि उसके पिता का निधन हो चुका है मां है वह भी अस्वस्थ्य है। मेरे आगे पीछे कोई नही है। मै अपने मुकदमे की पैरवी के लिए खुद दौड भाग करती हूं। पीडिता ने बताया कि एफआईआर के खिलाफ आरोपी उच्च न्यायालय भी रिट किया था लेकिन उच्च न्यायालय ने 17 मार्च 2020 को खारिज कर दिया था। फिर भी विवेचक आरोपियों की गिरफ्तारी नही करना चाहते हैं। पीडिता ने उच्चाधिकारियों से आरोपियों की गिरफ्तारी कराने तथा न्याय दिलाने की मांग की है।