बस्ती : कोरोना वायरस युवक की मौत ने कई सवालों को जन्म दे दिया है। परिजन लगातार सच्चाई छिपा रहे हैं। स्वास्थ्य महकमा भी रोग का पता करने के बजाय उनकी परिजनों की बातों में उलझा रहा। इमरजेंसी वार्ड समेत सोल्जर वार्ड में बिना किसी जांच के भर्ती कर इलाज करता रहा। जब मृतक की रिपोर्ट केजीएमयू लखनऊ से कोरोना पाजीटिव की पुष्टि हुई, तो जिला अस्पताल में हड़कंप मच गया। वार्ड में ड्यूटी करने वाले चिकित्सक और स्टाफ दहशत में हैं।
28 मार्च को शहर के तुर्कहिया निवासी हसनैन अली (25) की तबियत बिगड़ने पर परिजन उसे जिला अस्पताल ले गए। इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया। बाद में सोल्जर वार्ड में शिफ्ट कर दिया। चिकित्सक परिजनों से उस वक्त हिस्ट्री लेना चाहा लेकिन परिजनों ने कुछ स्पष्ट नहीं बताया। इसके बाद चिकित्सकों ने उसे गोरखपुर मेडिकल कालेज रेफर कर दिया। कोरोना वार्ड में 30 मार्च को सुबह उनकी मौत हो गई थी। मेडिकल कालेज प्रशासन ने सैंपल लेकर जांच की तो कोरोना की पुष्टि हुई। गोरखपुर के जिलाधिकारी के विजयेंद्र पंडियन ने भी इसकी पुष्टि करते हुए जिला प्रशासन बस्ती को इस बाबत जानकारी दे दी। इसके बाद जिला प्रशासन से लेकर स्वास्थ्य महकमा तक के अफसरों के हाथ-पांव फूल गए। कमियां ढूंढ़ने लगे।अब तो बस्ती डीएम ने भी पत्रकारों से बात कर पुष्टि की और कहा कि पूरे क्षेत्र को सेनेटाइजर का छिड़काव करके सुरचित किया जाएगा
उससे संपर्क में आए, चिकित्सक, स्टाफ, परिजनों को खोजबीन शुरू हुई। सबको क्वारंटाइन किया जा रहा है। जिस वक्त हसनैन भर्ती हुआ, उस दौरान उसकी हिस्ट्री परिजनों से ली गई, लेकिन कुछ भी नहीं बताया। फिलहाल इलाज करने वाले चिकित्सक व स्टाफ को क्वारंटाइन कर दिया गया है। सोल्जर वार्ड से लेकर इमरजेंसी वार्ड को सैनिटाइजर करा दिया गया है। जब हसनैन भर्ती हुआ था, तो उस वक्त कोई अन्य मरीज उस वार्ड में भर्ती नहीं था।