मेघनाद को पूरे ब्रह्मांड में सिर्फ लक्ष्मण ही क्यों मार सकते थे.एक विवेचन


जो मैं आज आप सब से सांझा करने जा रहा हूं वह वृतांत आपको बताएगा के लक्ष्मण कितने महान योद्धा थे।


राम के राज्याभिषेक के बाद तमाम ऋषि मुनि तपस्वी भगवान राम से मिलने व उन्हें आशीर्वाद देने आते हैं।


सर्वप्रथम मुनि अगस्त्य का आगमन होता है, और वो राम से कहते हैं के हे राम, आपने रावण और कुंभकर्ण को मारा जो अति दुर्लभ था पर आपसे ज्यादा विषम संग्राम लक्ष्मण ने मेघनाद से किया था, और उसका वध सबसे ज्यादा विषम था।
राम यह सुन के विस्मय में आ जाते हैं, और मुनि अगस्त्य से इसके बारे में विस्तार से पूछते हैं।


ऋषि अगस्त्य कहते हैं
मेघनाद एक बहुत ही प्रबल योद्धा था और उसके साथ साथ एक पत्नी वृत धारी भी था। वह पितृ भक्त भी था। वह जब पैदा हुआ था तो रोते हुए मेघ समान नाद किया था इसलिए उसका नाम मेघनाद  रखा था। 
देवासुर संग्राम में जब रावण विशिप्त अवस्था में इन्द्र द्वारा बंदी बना किया गया तब मेघनाद ने अंतरिक्ष में ही इन्द्र को बंदी बना लिया था और उसको लंका लेे आया था।  इंद्र को छुड़वाने के लिए ब्रह्मा आए तो ब्रह्मा से उसने ये वरदान लिया था के मुझे वही मार सके जिसने 14 वर्ष तक कुछ खाया न हो, जो सोया न हो, और जिसने नारी मुख न देखा हो। ब्रह्मा ने तथास्तु कह कर इन्द्र को छुड़वाया। 
यह तीनों उपलब्धियां सिर्फ़ लक्ष्मण में ही थीं।



राम ने लक्ष्मन को कक्ष में बुलाया और उनसे पूछा के तुमने यह तीनों काम कैसे किए।
लक्ष्मण ने कहा "भैया मैंने आप दोनों की सेवा के लिए निद्रा देवी को भेद दिया था, फिर जब निद्रा मुझ पर हावी होने लग गई तो मैंने उन्हें उर्मिला के पास भेज दिया था, जिसके कारण मेरे हिस्से की पूरी नींद उर्मिल ने 14 वर्ष तक ली (उर्मिल इस अवस्था में भी माताओं की सेवा करती रहती थीं क्योंकि उन्हें सीता मां ने एक समय पर कई काम करने का वरदान दिया था)। और इस  कारण से ही भैया मैं १४ वर्ष तक जागता रहा। निद्रा देवी  ने  मुझसे आश्वासन लिया था के १४ वर्ष पश्चात वह मुझपर आ जाएंगी। इसी कारण से आपके राज्याभिषेक के समय मेरे हाथ से छत्र छूट गया था।"


राम "पर कुछ खाया नहीं?"


लक्ष्मण "जी भैया हर बार कंदमूल फल लाते हुए आप कहते थे लक्ष्मण यह तुम्हारे लिए, आप खाने कि आज्ञा नहीं देते थे इसलिए मैंने खाया नहीं। मैंने गुरु वशिष्ठ द्वारा सीखी योग विधा से इसको किया।
यहां तक के माता शबरी के बर भी मैं झूठे होने के कारण फेकता जा रहा था (जिन्होंने आगे चल के संजीवनी बूटी का रूप लिया)
अधिक पूछने पर वह सारे फल जो लक्ष्मण ने नहीं खाते थे वो प्रकट हुए, 
राम ने कहा इसमें 7 दिन के फल नहीं हैं
लक्ष्मण ने कहा भैया इंन सात दिन आपने भी नहीं खाया था।
1. जब हमने वन में पिताश्री का पिंड दान किया था
2.जब सीता माता का अपहरण हो गया था
3. जब आप तीन दिन तक सागर को मनाने के लिए तप में थे
4. जब मुझे मूर्छा आ गई थी
5. जब हम दोनों नागपाश में बढ़े थे


फिर तीसरी बात राम  ने कहा ऐसा कैसे हुआ के तुम ने नारी का मुख ही नहीं देखा। 
लक्ष्मन बोले " भैया मैंने माता सीता के सिर्फ चरण देखे थे इसीलिए जब किष्किंधा में सारे गहने मिले तो मैं सिर्फ पायल पहचान पाया। शूरपणखा को भी मैंने राक्षसी रूप में देखा था नारी रूप में मैंने नज़रे नीचे ही रखी थी"


इन्हीं वजह से मेघनाद को मारना हो के असंभव था वह सिर्फ लखन लाल ही कर पाए।


(वाल्मीक रामायण के उत्तर काण्ड , रघुवंशम्, व कम्ब रामायण)